महिलाओं के लिए भी खतरे की घंटी बनता जा रहा हार्ट अटैक?

27 जून 2025, फिल्म और टीवी इंडस्ट्री के लिए एक दुखद दिन साबित हुआ जब 'कांटा लगा' फेम अभिनेत्री शेफाली जरीवाला का अचानक निधन हो गया। मात्र 42 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने (कार्डियक अरेस्ट) से उनका देहांत हो गया। यह घटना न केवल उनके प्रशंसकों को झकझोर गई, बल्कि एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर गई कि क्या अब युवाओं और खासकर महिलाओं में दिल की बीमारियाँ बढ़ रही हैं?
महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है दिल का दौरा?
पारंपरिक रूप से हार्ट अटैक को एक "पुरुषों की बीमारी" माना जाता रहा है, लेकिन अब यह धारणा तेजी से बदल रही है। हाल के वर्षों में महिलाओं, विशेष रूप से युवा महिलाओं में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं। आइए जानें इसके पीछे के कारण:
1. अलग लक्षण, जो अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग हो सकते हैं।
छाती में तेज दर्द न होकर गर्दन, जबड़ा, पीठ या पेट में दर्द,
अत्यधिक थकान, चक्कर,
सांस फूलना,
घबराहट या उल्टी जैसे लक्षण ज़्यादा देखने को मिलते हैं।
इन लक्षणों को अक्सर सामान्य समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
2. माइक्रोवेस्कुलर डिजीज
महिलाओं में छोटी धमनियों (coronary microvessels) में ब्लॉकेज आम होता है, जिसे डायग्नोज़ करना मुश्किल होता है और यह अचानक कार्डियक इवेंट्स का कारण बन सकता है।
3. हॉर्मोनल बदलाव और मेनोपॉज
मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी दिल को प्रभावित करती है। गर्भावस्था या पीसीओडी जैसी स्थितियां भी हृदय संबंधी जोखिम बढ़ाती हैं।
4. तनाव और जीवनशैली
काम और परिवार की दोहरी जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं में तनाव, नींद की कमी, और अनियमित खानपान सामान्य होते जा रहे हैं। ये सभी दिल के लिए खतरे का संकेत हैं।
5. स्वास्थ्य जांच की उपेक्षा
महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को प्राथमिकता नहीं देतीं और नियमित हेल्थ चेकअप नहीं करातीं, जिससे जोखिम समय रहते पकड़ में नहीं आता।
शेफाली की मौत एक चेतावनी है
शेफाली जरीवाला का असमय निधन केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी भी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हार्ट अटैक अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है। युवा, स्वस्थ दिखने वाले लोगों को भी यह अपनी चपेट में ले सकता है — और महिलाएं कोई अपवाद नहीं हैं।
कैसे करें दिल की बीमारियों से बचाव?
नियमित जांच: हर महिला को 30 की उम्र के बाद ईसीजी, ईको और लिपिड प्रोफाइल जैसी जांच करवानी चाहिए।
स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद को जीवन का हिस्सा बनाएं।
तनाव प्रबंधन: योग, मेडिटेशन, और “मी टाइम” को प्राथमिकता दें।
लक्षणों को न करें नजरअंदाज: यदि कोई भी असामान्य लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
शेफाली जरीवाला जैसी युवा और ऊर्जावान हस्ती का यूँ अचानक चले जाना दिल को झकझोर देने वाला है। यह एक व्यक्तिगत क्षति के साथ-साथ एक सामाजिक चेतावनी भी है कि हमें महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना होगा। समय रहते जागरूक होना और उचित कदम उठाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी शेफाली जैसी तमाम महिलाओं के लिए, जो मुस्कुराते हुए भी भीतर से संघर्ष कर रही होती हैं।
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