भारत की "शहजाही" को यूएई में फांसी...
Adarsh kanoujia
चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में शहजादी खान को अबू धाबी में 15 फरवरी को फांसी दे दी गई। शहजादी खान नौकरी की तलाश में थीं। वह आगरा से दुबई गईं थीं। आगरा के कारोबारी पर शहजादी को बेचने का आरोप लगा था। मामले में मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
शहजादी के पिता का आरोप है कि भारतीय सरकार ने इस मामले में उनकी कोई मदद नहीं की. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी को 10 फरवरी 2023 को अबू धाबी पुलिस ने हिरासत में लिया था और 31 जुलाई 2023 को अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई. परिवार का कहना है कि उन्होंने सरकार से कई बार अपील की, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला. वकील हायर करने और कानूनी सहायता लेने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे, जिससे वे अपनी बेटी को न्याय नहीं दिला सके.
शहजादी पर था बच्चे की हत्या का आरोप-
परिवार का कहना है कि शहजादी एक महिला नाजिया के लिए काम कर रही थी, जो हाल ही में मां बनी थी. आरोपों के मुताबिक बच्चे को एक ऐसी वैक्सीन दी गई थी, जो आमतौर पर छह महीने के बाद दी जाती है. शब्बीर खान का दावा है कि उनकी बेटी को जानबूझकर फंसाया गया और इसमें नाजिया का हाथ था. शहजादी ने हमेशा खुद को निर्दोष बताया, लेकिन न्याय प्रणाली ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया.
उज्जैर पर शहजादी को बेचने का आरोप?-
शहजादी खान को बीते 15 फरवरी को दुबई में फांसी दी गई थी। बताया जा रहा है कि वह दुबई में उजैर के फूफा-फूफी के घर पर रह रही थी। इस दौरान उनके बच्चे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिसके करीब दो महीने बाद शहजादी को हत्या के आरोप में फंसा दिया गया। दुबई की अदालत ने उसे दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना दी। शहजादी के पिता शब्बीर ने आरोप लगाया था कि उजैर ने प्लास्टिक सर्जरी कराने के बहाने उनकी बेटी को दुबई भेजा और फिर अपने रिश्तेदारों को सौंप दिया। वहां उसे नौकरानी बना दिया गया। बाद में उसे बच्चे की हत्या के मामले में फंसाकर मौत की सजा दिला दी गई।
जांच में उजैर आरोपी नहीं पाया गया-
शब्बीर खान की शिकायत पर बांदा पुलिस ने आगरा जाकर उजैर और उसके परिजनों से पूछताछ की। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि शहजादी खुद अपनी मर्जी से दुबई गई थी और वहां उसका वीजा भी वैध था। पुलिस ने यह भी कहा कि जब तक शहजादी दुबई में नौकरी कर रही थी और सैलरी ले रही थी, तब तक परिवार की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई। लेकिन जब उसे फांसी की सजा हुई, तभी एफआईआर दर्ज कराई गई। मटौंध थाना प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि मामले की जांच में उजैर और उसके परिवार के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला, इसलिए एफआईआर का निस्तारण करते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है। अब इस मामले में आगे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी।

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