यूआईटी की घोर लापरवाही या बड़े हादसे का इंतजार? नाले के बीचों-बीच खड़ा बिजली का पोल

श्रीगंगानगर : शहर में विकास कार्यों के नाम पर किस तरह जनता के पैसे की बर्बादी और सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जा रही है, इसका जीता-जागता उदाहरण जवाहर नगर सेक्टर 8 में देखने को मिल रहा है।

रवि धर्म कांटे के सामने, गुड शेफर्ड स्कूल वाली रोड पर यूआईटी (UIT) द्वारा बनाए जा रहे नाले ने स्थानीय नागरिकों की नींद उड़ा दी है। निर्माण कार्य में तकनीकी मापदंडों को ताक पर रखकर ठेकेदार द्वारा मनमर्जी का खेल चल रहा है।
हादसे को न्योता देता बिजली का पोल
मौके की तस्वीर साफ बयां करती है कि नाले की खुदाई के बीचों-बीच बिजली का एक पोल खड़ा है। नियमतः निर्माण शुरू करने से पहले इस पोल को शिफ्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन ठेकेदार ने पोल के चारों ओर खुदाई कर उसे वहीं छोड़ दिया है। पोल की नींव अब कमजोर हो चुकी है और नीचे पानी व कीचड़ भरा है। अगर यह भारी-भरकम पोल गिरता है, तो न केवल साथ लगती दीवार को नुकसान होगा, बल्कि वहां से गुजरने वाले राहगीरों या काम कर रहे मजदूरों की जान पर भी बन सकती है। बड़ा सवाल यही है कि अगर कोई हादसा हुआ, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
जनता का सवाल: जब नाली थी, तो नाले की क्या जरूरत?
वार्ड के नागरिकों में इस निर्माण को लेकर भारी रोष है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां पहले से ही एक पक्की नाली बनी हुई थी, जिससे पानी की निकासी सुचारू रूप से हो रही थी। वहां किसी बड़े नाले की आवश्यकता ही नहीं थी। लोगों का आरोप है कि यूआईटी बिना किसी सर्वे और जरूरत के जबरदस्ती यह नाला बना रही है, जो सिर्फ सरकारी बजट को ठिकाने लगाने की कवायद नजर आती है।
ठेकेदार की मनमर्जी
नागरिकों का आरोप है कि जब उन्होंने बिजली के पोल और अनावश्यक निर्माण को लेकर आपत्ति जताई, तो ठेकेदार ने उनकी एक न सुनी। वहां काम कर रहे श्रमिकों और ठेकेदार की मनमर्जी के आगे आम जनता बेबस नजर आ रही है।
प्रशासन से मांग
स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन और यूआईटी के उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस कार्य का तुरंत निरीक्षण किया जाए। बिजली के पोल को सुरक्षित तरीके से शिफ्ट किया जाए या काम को रोका जाए, ताकि किसी भी संभावित जनहानि को टाला जा सके।

रिपोर्टर : नरेश गर्ग 

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