AI बना साइबर अपराधियों का नया 'शातिर साथी'

"अब चोर आपका दरवाज़ा नहीं खटखटाते, वे आपके इनबॉक्स में दस्तक देते हैं – और वह भी AI की मदद से।"
कभी फोन पर कॉल कर फंसाने वाले साइबर ठग, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लेकर इतने शातिर हो गए हैं कि असली और नकली में फर्क कर पाना मुश्किल होता जा रहा है। अब ये सिर्फ स्कैम नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी के दम पर रचे गए ऐसे जाल हैं जिनमें फंसकर भारतीयों ने पिछले साल 23,000 करोड़ रुपये गवां दिए।
जी हां, 'द स्टेट ऑफ एआई-पावर्ड साइबर क्राइम: थ्रेट एंड मिटिगेशन रिपोर्ट 2025' के मुताबिक, साल 2024 में डिजिटल धोखाधड़ी से 22,812 करोड़ रुपये (करीब 2.78 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ — और इसमें सबसे बड़ा हाथ रहा AI का!
हर 10 में से 8 साइबर ठगी में AI का इस्तेमाल
रिपोर्ट बताती है कि आज के साइबर अपराधी फिशिंग ईमेल, नकली वेबसाइट और यहां तक कि डीपफेक वीडियो जैसे हथकंडों में AI टूल्स का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं – 80% फिशिंग स्कैम में AI का इस्तेमाल किया गया। मतलब, अब स्कैमर्स सिर्फ टेक्निकल नहीं, टेक्नो-इंटेलिजेंट भी हो गए हैं।
Tekion के फाउंडर और CEO जय विजयन ने चेतावनी दी है कि, "ये सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि खतरे की घंटी है।"
रफ्तार पकड़ा साइबर क्राइम, 10 गुना बढ़े मामले!
भारत में 2024 में साइबर क्राइम के 1.91 मिलियन मामले (लगभग 19 लाख) दर्ज किए गए। 2019 के मुकाबले ये आंकड़ा दस गुना ज्यादा है। पिछले साल फाइनेंशियल फ्रॉड के केस तीन गुना तक बढ़े। सिर्फ डिजिटल अरेस्ट स्कैम में भारतीयों ने 1936 करोड़ रुपये गवां दिए।
ऐप नहीं, फंदा है वो! नकली ऐप्स से हो रही ठगी
साइबर ठग अब ऐसे फेक ऐप्स बना रहे हैं जो हूबहू असली की तरह दिखते हैं। आप उन्हें प्ले स्टोर या लिंक से डाउनलोड करते हैं, और जैसे ही ऐप चलता है, वो आपकी डिवाइसेज में मालवेयर डाल देता है। फिर आपकी पर्सनल डिटेल्स – बैंक लॉगिन, OTP, कार्ड नंबर – सब कुछ उनकी जेब में पहुंच जाता है।
तो क्या करें? खुद को बनाएं 'स्मार्ट'
- AI ने अपराधियों को स्मार्ट बना दिया है, अब वक्त है कि यूजर्स भी साइबर-स्मार्ट बनें
- अनजान लिंक या मेल पर क्लिक करने से बचें
- हमेशा आधिकारिक वेबसाइट या ऐप स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें
- दो-स्तरीय ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें
- संदिग्ध कॉल या वीडियो कॉल में कोई पर्सनल डिटेल साझा न करें
AI जहां एक ओर तकनीकी विकास की दिशा में वरदान है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधियों के लिए ये एक नया ‘हथियार’ बन गया है। अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम इसे सुरक्षा कवच की तरह इस्तेमाल करें या फिर इसके जरिए फंसने वाले शिकार बन जाएं।
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