स्मृति से राजनीति को कहा अलविदा , बीजेपी लेगी बड़ा फैसला ?

स्मृति ईरानी – कभी टीवी की ‘तुलसी’ थीं, फिर बनीं संसद की तेज़-तर्रार आवाज़। लेकिन 2024 में ये आवाज संसद से गायब हो गई .... अमेठी से स्मृति को मिली हार ने सारा खेल पलट दिया ....आलम ये हुआ बीजेपी की दमदार आवाज को बीजेपी का कोई मंत्रीपद तक नहीं दिया गया .....मगर फिर भी 2025 में स्मृति ईरानी फिर छा गई है ..बस फर्क इतना ही कि इस बार वो राजनीति में नहीं मनोरंजन में छाई है .... जी हां वो फिर से टीवी पर वापसी कर रही हैं, तो सवाल उठ रहा है – क्या वो राजनीति को अलविदा कहने वाली हैं?दरसल स्मृति ईरानी जल्द ही सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के सीजन 2 में दिखने वाली हैं। एक तरफ कैमरे की चकाचौंध, दूसरी तरफ राजनीति की सख्त ज़मीन। कुछ जानकारों को लग रहा है कि ये वापसी एक्टिंग में नहीं, बल्कि राजनीति से दूरी की शुरुआत है। हालांकि स्मृति साफ़ कहती हैं – “मैं फुल-टाइम नेता हूं, एक्टिंग सिर्फ साइड प्रोजेक्ट है।” लेकिन सवाल तो उठेंगे ही, क्योंकि सियासत में हर कदम एक संकेत होता है।आइए 3 बड़े कारणों से समझते हैं कि क्यों अब यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि स्मृति ईरानी राजनीति से विदाई की ओर बढ़ रही हैं।
कारण नंबर 1 - अमेठी की कहानी अब बीते दिनों की बात
2014 में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर चर्चा में आईं स्मृति ईरानी ने 2019 में उन्हें उन्हीं की सीट से हराकर इतिहास रच दिया था। अमेठी में उन्होंने घर बसाया, जनता से रिश्ता जोड़ा और खुद को “बाहरी” की छवि से बाहर निकाला।लेकिन 2024 ने कहानी पलट दी। कांग्रेस के किशोरीलाल शर्मा ने स्मृति को ज़बरदस्त शिकस्त दी। हार के बाद स्मृति ईरानी का अमेठी से नाता भी कमज़ोर हो गया – चुनाव के 355 दिन बाद भी स्मृति अमेठी नहीं लौटी ... बस एक बार लोगों से मिली ..जिससे ये साफ हो गया कि , उनको खुद 2029 में वापसी की संभावना अब धुंधली नज़र आ रही है।
कारण नंबर 2 - मोदी कैबिनेट से बाहर होना
मोदी सरकार में एक समय केंद्रीय मंत्री रही स्मृति ईरानी को 2024 में न सिर्फ हार मिली, बल्कि मंत्रिमंडल से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।पिछले ट्रेंड देखें तो मोदी सरकार में जो मंत्री बाहर हुए, उनमें से ज्यादातर की वापसी दोबारा नहीं हुई। यानी यह सिर्फ एक अस्थायी ब्रेक नहीं, एक स्थायी संकेत हो सकता है।
कारण नंबर 3--राज्यसभा – उम्मीद टूटी, रास्ता भी बंद
चुनाव हारे हुए बड़े नेताओं को पार्टी अक्सर राज्यसभा के रास्ते संसद में वापस लाती है। स्मृति के पास तीन राज्यों से नाता रहा –दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र। तीनों ही बीजेपी के प्रभाव वाले राज्य हैं।फिर भी राज्यसभा की सीट न मिलना इस बात का संकेत हो सकता है कि पार्टी अब उन्हें अगले पायदान पर नहीं, बल्कि ब्रेक पर भेजना चाहती है।
ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि तो क्या स्मृति ईरानी की कहानी अब टीवी तक सिमट जाएगी? तो बता दें कि अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि स्मृति ईरानी ने राजनीति को पूरी तरह अलविदा कह दिया है। लेकिन ये भी सच है कि राजनीति की दुनिया में मौन भी कई बार बहुत कुछ कह जाता है।अमेठी से दूरी, कैबिनेट से बाहर होना और राज्यसभा की अनदेखी – ये सब एक साथ संयोग नहीं, संकेत हो सकते हैं।और अगर राजनीति में उनके दरवाज़े धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं, तो ‘तुलसी’ के लिए परदे की दुनिया फिर से खुल रही है। क्या पता, आने वाले सालों में हम स्मृति ईरानी को राजनीति में बेहद कम और स्क्रीन पर ज़्यादा देखें ..
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