South Korean plane crashes: दक्षिण कोरिया में 181 यात्रियों में से 179 लोग जलकर खाक हो गए

दक्षिण कोरिया में हुआ हालिया विमान हादसा एक भयावह और दिल दहला देने वाली त्रासदी है, जिसने न केवल कोरिया बल्कि पूरी दुनिया को गहरे शोक में डाल दिया है। यह दुर्घटना भारतीय विमानन इतिहास के 2010 में मंगलुरु में हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट क्रैश की यादें ताजा कर देती है, जब एक और भयावह हादसा हुआ था। उस समय 158 निर्दोष लोगों की जान गई थी और सिर्फ 8 लोग ही इस जानलेवा हादसे से बच पाए थे। दक्षिण कोरिया में हुआ यह हादसा भी उसी त्रासदी से मिलता-जुलता था, जहां एक बड़ा विमान दुर्घटना हुआ और 181 यात्रियों में से 179 लोग जलकर खाक हो गए। शुरुआत में इस हादसे में सिर्फ 85 मौतों की सूचना थी, लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि केवल दो लोग ही इस हादसे में बच पाए थे।
यह दुर्घटना कोरिया के मुआन हवाई अड्डे के पास हुई, जब विमान लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसलकर बाड़ से टकरा गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि विमान में तुरंत आग लग गई और चारों ओर काले धुएं के घने गुबार छा गए। दक्षिण कोरिया के आपातकालीन कार्यालय ने यह बताया कि विमान में सवार यात्रियों को निकालने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन अफसोस की बात यह है कि सिर्फ दो ही लोग बच पाए। हादसे के बाद लगी भीषण आग ने सब कुछ स्वाहा कर दिया। विमान में सवार बाकी यात्री, जो किसी तरह बचने की कोशिश कर रहे थे, वह भी इस भयावह आग की चपेट में आ गए। यह हादसा पूरी दुनिया को हिलाकर रख देने वाला था, क्योंकि इसमें केवल दो यात्रियों की जान बची, जो इस दर्दनाक दुर्घटना के बाद एक चमत्कार की तरह थे।
जानकारी के अनुसार, विमान का हादसा लैंडिंग के दौरान हुआ जब विमान रनवे से फिसलकर बाड़ से टकराया। बाड़ से टकराने के कारण विमान में आग लग गई, और देखते ही देखते चारों ओर धुआं फैल गया। आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि आसपास के इलाके में कुछ भी साफ नहीं दिखाई दे रहा था। कोरिया की आपातकालीन सेवाओं ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन विमान के बुरी तरह जलने के कारण, बचावकर्मियों को काफी मुश्किलें आईं। समाचार एजेंसी योनहाप के अनुसार, विमान में सवार सभी यात्रियों की जान चली गई, जिनमें 179 लोग शामिल थे।
यह हादसा भारतीय मैंगलोर हवाईअड्डे पर 2010 में हुए एक और विमान दुर्घटना की याद दिलाता है। मई 2010 में एयर इंडिया का एक विमान मैंगलोर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसलकर चट्टान से टकरा गया था। उस दुर्घटना में लगभग 160 लोगों की जान चली गई थी। यह हादसा भी बहुत समान था, जहां विमान का पंख एक एंटेना से टकरा गया था और इसके बाद पूरा विमान पहाड़ी से नीचे गिर गया। विमान गिरते ही उसमें आग लग गई और उसे नियंत्रित करने का कोई रास्ता नहीं था। इस हादसे में केवल 8 लोग ही बच पाए थे।
दक्षिण कोरिया और भारत में हुए इस प्रकार के हादसों ने हमें यह सीखने का अवसर दिया है कि हवाई यात्रा में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हवाई यात्रा के दौरान छोटे-से-छोटे सुरक्षा उपायों को भी प्राथमिकता देना जरूरी है। विमान की तकनीकी सुरक्षा, रनवे की स्थिति और मौसम की जानकारी इन सभी पहलुओं पर गहरे ध्यान देने की आवश्यकता है। इस प्रकार के हादसों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या हम पर्याप्त सुरक्षा उपायों को लागू कर रहे हैं? क्या हम यात्रियों की सुरक्षा को पूरी तरह से सुनिश्चित कर पा रहे हैं, या हम सिर्फ समय से पहले और अधिक यात्रियों को सेवा देने पर जोर दे रहे हैं?
दक्षिण कोरिया में हुआ यह विमान हादसा एक गहरी त्रासदी है, जिसने ना सिर्फ कोरिया बल्कि समूची दुनिया को हिला कर रख दिया। यह हमें यह समझाने का एक कड़ा संदेश देता है कि जीवन की सुरक्षा और हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा की कितनी अहमियत है। 2010 में हुए भारतीय विमान हादसे और दक्षिण कोरिया की इस दर्दनाक घटना ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा की कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हमें चाहिए कि हम सभी विमानन प्राधिकरणों और कंपनियों से यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
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