कामख्या देवी मंदिर का रहस्य

भगवान शिव जब माता सति के शव को उठाकर तांडव करने लगे थे . तब माता का शरिर अलग- अलग खंड में अलग- अलग- जगाहों पर गिरा था . देवी के शरीर का जो भी अंग जहां गिरा वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई . ये शक्तिपीठ भारत के अलावा पाकिस्तान में भी है . भारत में एक शक्तिपीठ जो काफी लोकप्रिय है वो है कामख्या देवी मंदिर जो कि असम में बना है . इस जगह माता की यौनी गिरी थी ये शक्तिपीठ सर्वशक्तिशाली पीठ में से एक है . साथ ही यहां की कहानियां और रहस्य़ भी रोचक है . तो चलिए आज बतातें है आपको कामख्या देवी मंदिर की कहानियां .
कामख्या देवी का मंदिर 52 शक्तिपीठो में से एक है . जो गुवाहटी से 8 किमो. की दूरी पर बना है . यहां देवी की यौनी की पूजा की जाती है . माता की यौना की स्थापना गुफा के एक कोने में की गई है. यहां देवी की कोई प्रतिमा नही है, मंदिर के अनेकों रहस्य है . आषाढ़ के महीने में कामाख्या के पास से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है. माना जाता है कि इस दौरान मां को मासिक धर्म हो रहे होते है इस कारण ऐसा होता है . यह भी कहा जाता है कि मंदिर के चार गर्भगृहों में 'गरवर्गीहा' सती के गर्भ का घर है. मंदिर में एक वार्षिक प्रजनन उत्सव का आयोजन होता है जिसे अंबुबासी पूजा के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान देवी का मासिक धर्म होता है. तीन दिनों तक बंद रहने के बाद, मंदिर चौथे दिन उत्सव के साथ फिर से खुल जाता है।. इस पर्व के दौरान कहा जाता है कि ब्रह्मपुत्र नदी भी लाल हो जाती है . साथ ही शक्ति प्राप्त करने के लिए साधू अलग-अलग गुफाओं में बैठक साधना करते हैं. , लोग यहां लोग मां के मासिक धर्म के खून से लिपटी हुई रूई को प्राप्त करने के लिए घंटों पर लाइन में खड़े रहते हैं. ये उन्हे प्रशाद के रूप में दिया जाता है . काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी है. कामाख्या देवी की पूजा भगवान शिव के नववधू के रूप में की जाती है, जो कि मुक्ति को स्वीकार करती है और सभी इच्छाएं पूर्ण करती है.मंदिर परिसर में जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. इस मंदिर के साथ लगे एक मंदिर में आपको मां का मूर्ति विराजित मिलेगी.
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