शाही पुल नदी पर मुर्गी–बकरा पकाने का कचरा बहाया जा रहा

दोस्तपुर : शाही पुल नदी इन दिनों गंभीर प्रदूषण का शिकार है। हैरानी की बात यह है कि जिस स्थान पर सरकार हर वर्ष लाखों रुपये खर्च कर नदी की सफाई कराती है, वहीं कुछ दुकानदार खुलेआम मुर्गी–बकरा पकाने का कचरा फेंककर पूरे क्षेत्र में गंदगी फैला रहे हैं। सरकारी प्रयासों के बावजूद इस तरह की लापरवाही ने नदी की स्वच्छता और पूरे इलाके की साफ-सफाई पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

स्थानीय नागरिक बताते हैं कि शाही पुल के पास स्थित कुछ दुकानों में रोजाना मुर्गी और बकरा साफ किया जाता है। इस दौरान निकलने वाले पंजे, पंख, खून, चर्बी, आंतें, मांस के टुकड़े और हड्डियाँ सीधे नदी की ओर बहा दी जाती हैं। कुछ ही मिनटों में पूरा कचरा पानी के बहाव में उतर जाता है और नदी की सतह पर चर्बी, खून और अवशेष साफ दिखाई देते हैं। इससे नदी का पानी बदरंग हो रहा है और बदबू इतनी तेज उठ रही है कि पुल पर रुकना भी मुश्किल हो जाता है।

सरकार और प्रशासन हर साल शाही नदी की सफाई के लिए भारी धनराशि खर्च करता है। मशीनों से सफाई, मजदूरों की तैनाती और गंदगी निकालने जैसे कार्यों पर लाखों रुपये लगाए जाते हैं। लेकिन दुकानदारों की मनमानी से कुछ ही दिनों में पूरी मेहनत और सरकारी खर्च बेकार हो जाता है। स्थानीय लोग कहते हैं कि “एक तरफ सरकार सफाई पर लाखों रुपये खर्च कर रही है, दूसरी तरफ कुछ दुकानदार उसी जगह नदी में कचरा डालकर सारी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।”

आसपास के दुकानदार भी इस गंदगी से बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि मांस के अवशेषों से उठने वाली बदबू से ग्राहक रुकते नहीं और उनके व्यापार पर सीधा असर पड़ता है। गर्मी के दिनों में हालात और खराब हो जाते हैं, जब सड़ा हुआ कचरा मच्छरों और कीड़ों का बड़ा कारण बन जाता है।

सरकार की ओर से साफ निर्देश हैं कि नदी में किसी भी तरह का कचरा—विशेषकर मांस से जुड़ा अवशेष—नहीं डाला जाएगा। इसके बावजूद शाही पुल क्षेत्र में इन आदेशों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। कई बार समझाने और रोकने के बावजूद दुकानदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे।

स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि मुर्गी–बकरा का कचरा नदी में बहाने वाले दुकानदारों पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो। साथ ही नदी किनारे निगरानी बढ़ाने, जुर्माना लगाने और कचरा निस्तारण की अलग व्यवस्था बनाने की भी मांग की गई है, ताकि शाही पुल नदी को प्रदूषण से बचाया जा सके और सरकारी खर्च भी सार्थक साबित हो सके

संवाददाता : दिनेश सिंह अग्निवंशी

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.