आषाढ़ मास की पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है

सुपौल : 10 जुलाई 2025 को आषाढ़ मास की पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी को गुरु पूर्णिमा भी कहा गया है। यह कहना है गोसपुर ग्राम निवासी मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का। उन्होंने व्यास पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि, जीवो के परम कल्याण के लिए भगवान द्वापर के अंत में महर्षि वशिष्ठ के पौत्र  पराशर मुनि के अंश से सत्यवती के गर्भ से प्रकट हुए। महर्षि कृष्णद्वैपायन के रूप में भगवान का यह सत्रहवां अवतार कलयुग के प्राणियों को शास्त्रीय ज्ञान सुलभ करने के लिए हुआ था ।व्यास जी का जन्म द्वीप में हुआ इससे उनका नाम द्वेपायन है। शरीर का श्याम वर्ण है इससे वह कृष्णद्वैपायन  हैं और वेदों का विभाग करने से वेदव्यास हैं। भगवान व्यास प्रकट होते ही माता की आज्ञा लेकर तप करने चले गए। उन्होंने हिमालय की गोद में भगवान नर नारायण की तपोभूमि बद्रीवन के सम्यकप्रास में अपना आश्रम बनाया ।वेदों को यज्ञ की पूर्ति के लिए व्यास जी ने चार भागों में विभक्त किया। भगवान कृष्णद्वैपायन व्यास जी की महिमा अगाध है। सारे संसार का ज्ञान उन्हीं के ज्ञान से प्रकाशित है। वेदव्यास जी ज्ञान के असीम और अनंत समुद्र हैं। भक्ति के परम आदरणीय आचार्य हैं। व्यास जी संपूर्ण संसार के परम गुरु हैं। प्राणियों को परमार्थ का मार्ग दिखाने के लिए ही उनका अवतार हुआ है। तत्व ज्ञान के लिए भगवान व्यास ने ब्रह्म सूत्र का निर्माण करके तत्व ज्ञान को व्यवस्थित किया। वेदों का विभाजन एवं महाभारत का निर्माण करके भी भगवान व्यास जी का चित् प्रसन्न नहीं हुआ ।18 पुराणों की रचना करके विश्व ब्रह्मांड में यश और कीर्ति फैल गया। अनेक पुराणों को लिखने के बाद भी व्यास जी को आत्म संतुष्टि नहीं मिली। देवर्षि नारद जी के कहने पर उन्होंने अठारह हजार श्लोकों से पूर्ण श्रीमद् भागवत महापुराण की रचना किया और उस ग्रन्थ के उपदेश से उपदेश से जीव का परम कल्याणहुआ और हो रहा है।भगवान के श्री चरणों में चित् को लगा देने में ही है सभी धर्म का यही परम फल है कि, उनके आचरण से भगवान के गुण, नाम, लीला के प्रति हृदय में अनुरक्ति हो। भगवान कृष्णद्वैपायन व्यास जी ने समस्त प्राणियों के कल्याण के लिए पुराणों में भगवान की विभिन्न लीलाओं का अधिकार भेद के समस्त दृष्टिकोण से वर्णन किया।  भगवान वेदव्यास अमर हैं, नित्य हैं। वे उपासना के सभी मार्गों के आचार्य हैं और अपने संकल्प से  सभी परमार्थ के साधकों की निष्ठा का पोषण करते रहते हैं। ऐसे भगवान वेदव्यास को गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कोटि-कोटि नमन।

रिपोर्टर : ललन कुमार झा 

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