कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज में बहुत सारे साधु संतो का आगमन हुआ

प्रयागराज में आनेवाले विभिन्न साधु संत के उपनाम उनके अखाड़ों के नाम पर रखा जाता है क्या आप जानते हैं
कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज में बहुत सारे साधु संतो का आगमन हुआ जिसमें विभिन्न अखाड़ों के साधु संत आए ।इन अखाड़ों में आए साधु अपने नाम के पहले और अपने नाम के बाद उपनाम लगाते हैं जिससे पता चलता है कि वे कौन से अखाड़े के साधु संत हैं।इन अखाड़ों के संत नाम के आगे गिरि,पुरी आदि उपनाम लगाएं जाते हैं।
हिन्दू संतों के 13 अखाड़े हैं इनमे से शिव (संन्यासी) संप्रदाय के, 7 अखाड़े, बैरागी (वैष्णव) संप्रदाय के 3 अखाड़े और उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं।इन्हीं में नाथ, दशनामी आदि भी होते हैं।
इस उपनाम से ही यह पता चलता हैं कि, वे किस अखाड़े, मठ, और किस संत समाज से संबंध रखते हैं।
शिव संन्यासी संप्रदाय के अंतर्गत ही दशनामी संप्रदाय जुड़ा हुआ है।ये दशनामी संप्रदाय के नाम :- गिरि, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती,वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम।
सन्यासी समाज के लोग इसी दशनामी संप्रदाय से संबंधित हैं। इन 7 अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है।
दशनामी संप्रदाय में शंकराचार्य, महंत, आचार्य और महामंडलेश्वर आदि पद होते हैं।
किसी भी अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊंचा होता है। शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित किए थे जो 10 क्षेत्रों में बंटें थे जिनके एक-एक मठाधीश थे।1.गिरी,2.पर्वत3.सागर।
इनके ऋषि हैं भ्रुगु।
4.पुरी, 5.भारती और 6.सरस्वती।इनके ऋषि हैं शांडिल्य।7.वन और 8.अरण्य के ऋषि हैं कश्यप।
चार जगहों पर होने वाले कुंभ में नागा साधु बनने पर उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।
इलाहाबाद के कुंभ में उपाधि पाने वाले को
राजराजेश्वरी नागा, उज्जैन में खूनी नागा,
हरिद्वार में बर्फानी नागा तथा नासिक में उपाधि पाने वाले को खिचडिया नागा कहा जाता है।
इससे यह पता चल पाता है कि उसे किस कुंभ में नागा बनाया गया है।शैव पंथ के 7 अखाड़ो में ही नागा साधु बनते हैं।
नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं।
कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत, श्रीमहंत और सचिव उनके पद होते हैं।सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद श्रीमहंत का होता है।
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े में आचार्य, स्वामी, नारायण, दास आदि उपनाम रखते हैं।
जैसे रामदास, रामानंद आचार्य, स्वामी नारायण आदि। नाथ संप्रदाय के सभी साधुओं के नाम के आगे नाथ लगता है। जैसे गोरखनाथ, मछिंदरनाथ आदि।उदासीन संप्रदाय के संत निरंकारी होते हैं। इनके अखाड़ों की स्थापना गुरु नानकदेव जी के पुत्र श्रीचंद ने की थी।
इनके संतों में दास, निरंकारी और सिंह अधिक होते हैं। संत नाम विशेषण और प्रत्यय : - परमहंस, महर्षि, ऋषि, स्वामी, आचार्य, महंत, नागा, संन्यासी, नाथ और आनंद आदि।
साधुओं के प्रमुख अखाड़े
13 अखाड़े - 7 शैव, 3 वैष्णव और 3 उदासीन अखाड़े ये 13 अखाड़े हैं-
नागा साधुओं के प्रमुख अखाड़े भारतीय धार्मिकता के महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं और इनका प्राचीन इतिहास है। भारत में कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिन्हें तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
पहली श्रेणी में शैव अखाड़े आते हैं, जिनकी संख्या कुल 7 है और जिनका संबंध शिव भक्त धारा से है। ये शैव अखाड़े हिन्दू धर्म के शिव संप्रदाय का अनुसरण करते हैं और इनका मुख्य उद्देश्य शिव की आराधना और उनके सिद्धांतों का पालन करना होता है।
दूसरी श्रेणी वैष्णव अखाड़ों की है, जिनमें 3 प्रमुख अखाड़े शामिल हैं। वैष्णव अखाड़े विष्णु भगवान की पूजा करते हैं और उनके अनुयायी वैष्णव परंपराओं का पालन करते हैं, जो भक्ति योग और ध्यान पर विशेष जोर देते हैं।
तीसरी श्रेणी उदासीन अखाड़ों की है, जिनमें भी 3 प्रमुख अखाड़े आते हैं। उदासीन अखाड़े सिख गुरुओं की परंपरा और उनके सिद्धांतों का पालन करते हैं और ये साधुगण ठहराव और निर्वाण की खोज पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
इन सभी अखाड़ों के साधु महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह में भाग लेते हैं, विशेषकर कुंभ मेले में, जहाँ ये अपने अनुष्ठान और प्रथाओं को पूरे जोश के साथ संपन्न करते हैं।1.निरंजनी अखाड़ा2.जूना अखाड़ा3.महानिर्वाण अखाड़ा4.अटल अखाड़ा
5.आह्वान अखाड़ा6.आनंद अखाड़ा7.पंचाग्नि अखाड़ा8.नागपंथी गोरखनाथ अखाड़9.वैष्णव अखाड़ा,10.उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा11.उदासीन नया अखाड़ा,12.निर्मल पंचायती अखाड़ा 13.निर्मोही आखाड़ा ये सभी अखाड़ा है।
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