अधिकारीयों के निलंबन के नाम पर जनता को बेवक़ूफ़ बना रही सरकार
योगी बाबा की सरकार है कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे | इस तरह की लाइन कहते हुए आपने काफी नेताओं को सुना होगा लेकिन ये लोग या तो खुद अनजान हैं या फिर सब मिलकर जनता को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं | जी हाँ आपने देखा होगा की जरा सी गड़बड़ी सामने आई तो अधिकारी तत्काल निलंबित कर दिया जाता है पर क्या इससे गड़बड़ी होना बंद हुई ? और क्या उन निलंबित अधिकारीयों पर कोई कार्यवाही हुई ? इसका जवाब है नहीं बिलकुल नहीं |
नमस्कार में हूँ ऋषभ सक्सेना और आप देख रहे हैं सी न्यूज़ भारत
आज में आपको बताऊंगा की किस तरह से सरकारें जनता को निलंबन के नाम पर बेवक़ूफ़ बनाती हैं |
हाल ही में आपने देखा होगा की मुख्यमंत्री ने तत्काल बड़े अधिकारी को निलंबित कर दिया या कहें सस्पेंड कर दिया क्योंकि उसने गलत किया था | फिर कुछ दिन बाद उसी अधिकारी को दूसरी जगह बढ़िया पद पर भेज दिया जाता है तब वो दोषमुक्त पाया जाता है तो फिर यह कैसा सिस्टम हैं जहा गलत होने पर भी आप वाइट कालर होकर निकलते हैं |
अब बात करते हैं सबसे बड़े सच की जो बहुत कम लोग जानते हैं की जब भी किसी कर्मचारी को उसके विभाग की ओर से सस्पेंड किया जाता है तो इसका मतलब है कि कुछ दिनों के लिए वो काम नहीं करेगा. इसके समय सीमा कुछ ही दिनों की होती है. किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक सस्पेंड नहीं किया जाता है और उस पर लगे आरोपों की जांच की जाती है.
सस्पेंड की सीमा पूरी होने पर कर्मचारी को वो ही नौकरी, वो ही पद वापस मिल जाता है. खास बात ये है कि जब तक वह व्यक्ति सस्पेंड रहता है तब तक उस व्यक्ति को सैलरी का आधा हिस्सा और महंगाई भत्ता मिलता है और बहाल होने के बाद पूरी सैलरी मिल जाती है.
लेकिन अगर सरकार उसको निलंबित न करके उसका मानदेय यानि सैलरी में से पैसे काट ले तो यह बात उस अधिकारी की वर्क प्रोग्रेव्स रिपोर्ट में दर्ज हो जाएगी और प्रमोशन पर असर डालेगी जिसके बाद अधिकाँश अधिकारी अपने आप सुधर जाएंगे लेकिन कोई सरकार ऐसा करेगी कब ?

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