बरसात में टमाटर की खेती हुई आसान, इस तकनीक से फसल रहती है तंदरुस्त

टमाटर की खेती भारत में कई किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है, लेकिन बरसाती मौसम में टमाटर की फसल को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिक पानी, कीट, और रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में एक नई तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, जिससे टमाटर की फसल बरसात में भी सुरक्षित रहती है।
टमाटर की फसल बरसात में क्यों होती है प्रभावित?
ज़्यादा नमी से फफूंदी और रोग लग जाते हैं।
मिट्टी में जलभराव के कारण जड़ सड़ जाती है।
कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
फल का सड़ना या पकने में देरी होती है।
नई तकनीक क्या है?
किसान अब मल्चिंग तकनीक और ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मल्चिंग: जमीन को प्लास्टिक या फूस से ढकना, जिससे मिट्टी नमी बरकरार रखती है और खरपतवार भी नहीं उगते।
ड्रिप इरिगेशन: पौधों को सीधे जड़ों तक पानी देना, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधे ठीक से पोषित होते हैं।
इसके साथ ही कुछ किसान रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे फसल पर रासायनिक प्रभाव कम पड़ता है।
किसानों के अनुभव
"इस तकनीक से मेरी टमाटर की फसल पिछले साल बारिश में भी सुरक्षित रही," बताते हैं किसान रामप्रसाद यादव। "अब फसल में कम नुकसान होता है और अच्छी पैदावार होती है।"
फायदे
फसल पर पानी का सही नियंत्रण
रोग और कीटों से बचाव
मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है
फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों में सुधार
टमाटर की खेती में इस तकनीक का उपयोग बरसात के मौसम में फसल की सुरक्षा और बढ़ोतरी का एक कारगर उपाय साबित हो रहा है। किसानों को चाहिए कि वे इस तकनीक को अपनाकर न सिर्फ अपनी आय बढ़ाएं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल खेती भी करें।
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