स्वामी प्रसाद मौर्या बने यूपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार

कैसे स्वामी प्रसाद मौर्या बने यूपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार?
अपने बयानों के चलते हमेशा चर्चा में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या एक बार फिर चर्चा में हैं पर इस बार कारण कोई बयान नहीं बल्कि एक अलग हुंकार है। जी हाँ आपको बताते चले कि पहले बसपा में रहे स्वामी प्रसाद भाजपा में जुड़कर मंत्री बने और 2022 में सपा के साथ जुड़े पर न ही सपा सरकार में आयी और न ही स्वामी कुशीनगर जिले की अपनी विधानसभा सीट फाजिल नगर जीत पाए। और फिर सपा से रुखसती के बाद स्वामी प्रसाद ने अपनी जनता पार्टी नाम, से ड़ाल बनाकर अपनी अलग शुरुआत की और अब एक बार और स्वामी प्रसाद मौर्या ने चौकाने के काम किया है आपको बता दूँ कि स्वामी प्रसाद ने लोक मोर्चा के नाम से नौ दलों को मिलाकर एक नया गठबंधन बनाया है। जिसमें उनकी अपनी जनता पार्टी के अलावा राष्ट्रीय समानता दल, सम्यक पार्टी, जनसेवा दल, पोलिटिकल जस्टिस पार्टी, सर्वलोकहित समाज पार्टी, स्वतंत्र जनता राज पार्टी, सबका दल (U) और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी जैसे दल शामिल हैं.
ये लोक मोर्चा गठबंधन जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी सिद्धांत को लेकर उत्तर प्रदेश के 2027 विधानसभा चुनाव में हुंकार भरेगा। निश्चित ही स्वामी का ये लोक मोर्चा न केवल सपा प्रमुख और पुर्व मुख्य्मंत्री अखिलेश यादव के पीडीए समीकरण को बिगाड़ेगा साथ ही ओबीसी और एससी एसटी वोटबैंक के सहारे उत्तर प्रदेश में हैट्रिक की राह देख रही भाजपा के लिए भी परेशानी का सबब बनेगा। हालांकि स्वामी प्रसाद की इस बड़ी महत्वकांक्षा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सहयोगी और महान दल के नेता केशवदेव मौर्य ने बड़ा बयान देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या को नासमझ नेता बोल दिया है
आपको बताए चले कि महान दल के नेता केशवदेव मौर्य ने एक्स पर पोस्ट कर स्वामी प्रसाद मौर्य के दावे पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा- 'नासमझ नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए.! उत्तर प्रदेश मे हर चुनाव से पहले कुछ नासमझ नेता मिलकर 'मोर्चा' बनाते हैं और 'मुख्यमंत्री' बनने का मूर्खता भरा सपना देखते हैं लेकिन चुनाव के बाद रिजल्ट आने पर पता चलता है कि इनकी पार्टी के प्रत्याशियों को सौ-दो सौ वोट ही मिला है. और तो और ये खुद भी हार जाते हैं सबसे पहले इन नासमझ नेताओं को किसी गांव शहर के चौराहे पर जाकर राजनीतिक चर्चा करने वाले लोगों से 'ट्यूशन लेना चाहिए ज्ञान लेना चाहिए क्योंकि चौराहों पर बैठकर राजनीतिक चर्चा करने वाले लोगों को भी इन नेताओं से ज्यादा जानकारी है। उन्होंने कहा कि हम पहले भी कई मोर्चे देख चुके हैं किसका क्या हुआ सबको पता है। उन्होंने आगे लिखा- 'इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव-2022 के पहले भी कई पार्टियों को मिलाकर एक मोर्चा बनाया था और भाषण के दौरान लंबी-लंबी बातें कही गई थी लेकिन भागीदारी मोर्चा के मालिक बाबू सिंह कुशवाहा को समाजवादी पार्टी ने टिकट दे दिया तो 'मोर्चा' ही बंद हो गया। ऐसे ही इनका मोर्चा भी है बंद हो जाएगा ये भी। कोई समस्या वाली बात नहीं है अक्सर चुनाव के समय ऐसे मोर्चे बनते रहते हैं।
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