चाय की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय, बस ये करें काम

चाय की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो विशेष जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में की जाती है। भारत चाय उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है, खासकर असम, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।

चाय की खेती से जुड़ी प्रमुख जानकारी:

1. जलवायु और तापमान:

आदर्श तापमान: 20°C से 30°C
वर्षा: सालाना 150-300 सेमी
अधिकतर बादलों वाली और नम वातावरण वाली जगह उपयुक्त होती है
तेज़ हवाओं और ठंढ से नुकसान हो सकता है

2. भूमि (Soil):

अम्लीय मिट्टी (pH: 4.5–5.5) अच्छी होती है
जैविक तत्वों से समृद्ध दोमट मिट्टी उपयुक्त है
जल निकासी अच्छी होनी चाहिए क्योंकि चाय के पौधे को पानी का जमाव पसंद नहीं

3. रोपण (Planting):

चाय के पौधे को बीज या कटिंग से उगाया जाता है
रोपण की दूरी आमतौर पर 1.2 से 1.5 मीटर तक होती है
रोपाई मानसून शुरू होने से पहले करनी चाहिए

4. सिंचाई और देखभाल:

नियमित सिंचाई आवश्यक है, खासकर सूखे मौसम में
खरपतवार नियंत्रण और छंटाई (pruning) ज़रूरी है ताकि पत्तियों की अच्छी वृद्धि हो
समय-समय पर जैविक खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए

5. तुड़ाई (Plucking):

पहली तुड़ाई रोपण के 3-4 साल बाद होती है
नई कोपलों (2 पत्तियाँ और एक कली) की तुड़ाई की जाती है
तुड़ाई हर 7-15 दिन में की जा सकती है

6. प्रसंस्करण (Processing):

पत्तियों को तोड़ने के बाद उन्हें सुखाया, मरोड़ा और ऑक्सीकृत किया जाता है
चाय का प्रकार (काली चाय, हरी चाय, ऊलोंग चाय) इस प्रक्रिया पर निर्भर करता है

7. प्रमुख उत्पादक राज्य:

असम – भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य
पश्चिम बंगाल – खासकर दार्जिलिंग, जो विश्व प्रसिद्ध चाय के लिए जाना जाता है
केरल और तमिलनाडु – नीलगिरि की पहाड़ियों में

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