बच्चों के लिए फोन में पैरेंटल कंट्रोल कैसे लगाएं? – स्मार्ट पेरेंट्स की स्मार्ट ट्रिक!


“बचपन अब गिल्ली-डंडा नहीं, मोबाइल में PUBG और YouTube में छुपा है!”आज के बच्चों की दुनिया उनके हाथों में आ चुकी है – Aऔर वह भी मोबाइल की स्क्रीन के रूप में! जहाँ एक ओर टेक्नोलॉजी उन्हें सीखने, जानने और दुनिया से जुड़ने का ज़रिया देती है, वहीं दूसरी ओर यह उन्हें अनजान खतरे, समय की बर्बादी और गलत कंटेंट की ओर भी ले जा सकती है।

तो सवाल उठता है:

  • क्या बच्चों को फोन देना सही है?
  • अगर देना ही है, तो उन्हें सुरक्षित कैसे रखें?

चलिए, आज हम आपको बताते हैं – कैसे आप स्मार्ट पैरेंट बनकर अपने बच्चे की डिजिटल दुनिया को बना सकते हैं सुरक्षित और सीमित… बिना उनकी आज़ादी छीने!

पैरेंटल कंट्रोल क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो पैरेंटल कंट्रोल एक ऐसा "डिजिटल ताला" है, जिससे आप तय कर सकते हैं कि बच्चे क्या देखेंगे, कितनी देर फोन चलाएंगे, और किन ऐप्स या वेबसाइट्स से दूर रहेंगे।

यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप चॉकलेट की दुकान के बाहर खड़े होकर बच्चे को बोलें:
“एक ही चॉकलेट लेना, पूरा डिब्बा नहीं!”

अपने बच्चे के फोन में पैरेंटल कंट्रोल कैसे लगाएं?

1. Google Family Link – एंड्रॉइड यूज़र्स के लिए वरदान!

Google की यह ऐप आपको बच्चों के फोन पर पूरी नजर रखने देती है:

कौन-सी ऐप कितनी देर यूज़ हो रही है
समय सीमित करें (Screen time limit)
ऐप्स इंस्टॉल करने से पहले आपकी अनुमति जरूरी
YouTube पर बच्चों के लिए सेफ मोड

कैसे सेट करें?

अपने और बच्चे दोनों के फोन में Google Family Link इंस्टॉल करें

अपने Google अकाउंट से लॉगइन करें

बच्चे का अकाउंट ऐड करें और उसे पैरेंटल अकाउंट से लिंक करें

बस! अब आप कर सकते हैं सब कंट्रोल – वो भी चुपचाप 

बच्चों को फोन देना कोई गुनाह नहीं है, लेकिन उन्हें डिजिटल अनुशासन सिखाना आपकी जिम्मेदारी है।पैरेंटल कंट्रोल कोई “जेल” नहीं, बल्कि एक डिजिटल सुरक्षा कवच है – जो उन्हें सिखाता है टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल।तो अगली बार जब बच्चा बोले – “मम्मी, मेरा फोन कहां है?”आप मुस्कुराकर कहिए – “तू पहले होमवर्क कर, फिर मिलेगा... और हाँ, आज टाइम लिमिट है 1 घंटा!”

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