तेजप्रताप के इशारे से बढ़ा सियासी पारा, बोले- अब मैं भी तैयार हूँ

बिहार की राजनीति में अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले तेजप्रताप यादव ने एक बार फिर चर्चा को गर्म कर दिया है। गुरुवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजप्रताप ने एक रहस्यमय बयान देते हुए कहा:

"बताना मुश्किल है कि घर के लोग साजिश रच रहे हैं या बाहर के... लेकिन मैं चुप नहीं बैठने वाला। अब मेरे पास भी योजना है, और वक्त आने पर सब सामने आ जाएगा।"

इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है — क्या तेजप्रताप यादव महागठबंधन या अपनी ही पार्टी (RJD) से नाराज़ हैं? क्या वे कोई नया सियासी मोड़ लेने वाले हैं?

तेजप्रताप का यह बयान ऐसे समय आया है जब महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की बात कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने स्पष्ट रूप से कही। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थीं कि तेजप्रताप कहीं इस फैसले से नाराज़ तो नहीं? हालांकि तेजप्रताप ने सीधे किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन "घर के लोग" शब्द ने इस बयान को और पेचीदा बना दिया है।

तेजप्रताप का 'आगे का प्लान' क्या है?

पत्रकारों के पूछने पर तेजप्रताप ने यह जरूर इशारा किया कि वे जल्द ही अपनी योजनाओं का खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा: "मैंने अब फैसला कर लिया है कि राजनीति में किस रास्ते पर चलना है। अब जो होगा, वह सबके सामने होगा।"
राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि तेजप्रताप आने वाले समय में अपनी अलग राजनीतिक पहचान या प्लेटफॉर्म स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं — चाहे वह RJD के भीतर किसी गुटबंदी के रूप में हो या नए संगठन की ओर संकेत।

RJD के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, तेजप्रताप यादव लंबे समय से खुद को 'अनदेखा' किए जाने को लेकर असंतुष्ट हैं। तेजस्वी यादव को पार्टी का सर्वमान्य नेता बनाए जाने के बाद से तेजप्रताप धीरे-धीरे पार्टी की बड़ी रणनीतियों से दूर होते जा रहे हैं। पार्टी की ओर से फिलहाल इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

तेजप्रताप के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि वे पार्टी में 'असली समाजवादी सोच' का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, कुछ ने इसे "पारिवारिक टकराव का सार्वजनिक रूप" भी बताया है।

बयान से साफ है कि तेजप्रताप अभी भी अपने राजनीतिक अस्तित्व की तलाश में हैं। यह बयान तेजस्वी की स्वीकार्यता के बीच एक अलग ध्रुव बनाने की कोशिश हो सकता है। अगर यह मतभेद लंबा खिंचता है, तो 2025 के बिहार चुनाव से पहले यह RJD के लिए चुनौती बन सकता है। तेजप्रताप यादव का यह बयान फिलहाल एक पहेली की तरह है। क्या यह सिर्फ भावनात्मक प्रतिक्रिया है या किसी बड़ी रणनीति की शुरुआत? आने वाले दिनों में अगर तेजप्रताप अपने 'प्लान' का खुलासा करते हैं, तो बिहार की राजनीति में एक और नया अध्याय खुल सकता है।

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