क्या राघोपुर फिर बनेगा तेजस्वीगढ़? चुनावी रण में बढ़ी टेंशन!

बिहार की सियासत फिर से गरम है, और इस बार दांव पर है राघोपुर....वो सीट, जिसे कभी लालू यादव ने अपने दम पर गढ़ा था, और जिसे अब तेजस्वी यादव अपनी विरासत का सबसे बड़ा किला मानते हैं। लेकिन क्या इस बार भी राघोपुर 'तेजस्वीगढ़' बना रहेगा? या 2010 की तरह फिर से कोई सतीश यादव सेंध लगा देगा? और, वो प्रशांत किशोर जो खुद सीधा मुकाबला करने का दावा कर रहे थे, मैदान से ही गायब हो गए...तो क्या तेजस्वी को अब दो-दो सीटों से लड़ने की जरूरत नहीं रही?
आपको बता दें बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, और सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक राघोपुर सीट फिर चर्चा में है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने तीसरी बार इस सीट से नामांकन दाखिल किया है। साथ ही साफ किया कि वो सिर्फ एक ही सीट से, यानी राघोपुर से चुनाव लड़ेंगे, ना कि दो जगहों से।
नामांकन के समय राघोपुर पहुंचे तेजस्वी यादव के साथ पूरा लालू परिवार मौजूद रहा...पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी, बहन मीसा भारती, और सबसे भरोसेमंद सहयोगी संजय यादव। भीड़ भी खूब जुटी, और संदेश भी साफ था कि हम सिर्फ सरकार नहीं बनाना चाहते, हम बिहार बनाना चाहते हैं। लेकिन इस बार मुकाबला उतना आसान नहीं जितना 2015 और 2020 में था। क्योंकि सामने दो पुराने विरोधी हैं-बीजेपी के सतीश यादव, और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार चंचल सिंह। वहीं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जिन्होंने पहले खुलकर कहा था कि अगर तेजस्वी राघोपुर से लड़ेंगे तो उन्हें दो सीटों से लड़ना पड़ेगा, लेकिन अब खुद प्रशांत किशोर मैदान से बाहर हैं, और अपनी पार्टी जन सुराज की तरफ से चंचल सिंह को मैदान में उतार दिया है। चंचल सिंह कौन है, ये भी जान लीजिए...
चंचल सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं
व्यवसायी हैं, होटल और रियल एस्टेट का कारोबार
कभी जेडीयू के व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव थे
राजनीति की शुरुआत नीतीश कुमार की टीम से की थी
अब प्रशांत किशोर का दांव हैं, जो तेजस्वी के खिलाफ खड़े हैं
वहीं बीजेपी ने इस बार फिर से सतीश यादव को मैदान में उतारा है। ये वही नेता जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को राघोपुर से हराया था। हालांकि 2015 और 2020 में वो तेजस्वी यादव से हार चुके हैं। लेकिन बीजेपी को उम्मीद है कि तीसरी बार बाज़ी पलट सकती है। खासकर तब, जब चिराग पासवान भी अपनी पूरी ताकत NDA के साथ झोंकने की बात कर रहे हैं। ऐसे में आपको राघोपुर सीट की जमीनी हकीकत भी जानना जरुरू है...
31% यादव वोटर-लालू परिवार का पारंपरिक वोट बैंक
18% दलित वोटर-जिसमें 6% पासवान समुदाय
18% के आसपास राजपूत वोटर-अब दो उम्मीदवार, चंचल और सतीश, दोनों इसी वर्ग से
बाकी में ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर लगभग 3-3%
जाहिर है राघोपुर की लड़ाई अब सिर्फ एक सीट की नहीं, एक सोच की लड़ाई बन चुकी है। एक तरफ है लालू परिवार की विरासत, दूसरी तरफ नए दावेदारों की चुनौती। क्या तेजस्वी यादव यहां जीत की हैट्रिक लगाएंगे या बीजेपी के सतीश यादव हार की? या फिर चुपचाप तैयारी कर रहे चंचल सिंह कोई नई कहानी लिखेंगे? वोटर का मन क्या है, ये अबकी बार सिर्फ जाति नहीं, भरोसे और उम्मीदों से तय होगा। क्योंकि अब बिहार सिर्फ चुनाव नहीं लड़ रहा, वो अपना भविष्य चुन रहा है। सियासत के इस रण में क्या होगा, ये कह पाना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि राघोपुर की सीट इस बार भी बिहार की सबसे हॉट सीट बनने जा रही है।
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