खुले व स्कैप ट्रकों से कचरा ढुलाई,भ्रष्टाचार की गंध में डूब रहा शहर,प्रशासन मौन

भिवंडी : निज़ामपुर शहर महानगर पालिका में लागू प्रशासक राज अब भ्रष्टाचार की ढाल बन चुका है। अधिकारी–कर्मचारी मनमानी पर उतरे है और ठेकेदारों की जेबें भरने का खेल खुलेआम चल रहा है। नये डीपी प्लान, गटर निर्माण और सड़क मरम्मत में करोड़ों का घोटाला करने के बाद अब कचरा ढुलाई का काम भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुका है।

पालिका क्षेत्र में कचरा उठाने का ठेका निजी कंपनी को दिया गया है। नियमों के अनुसार आधुनिक बंद गाड़ियों (आरसीएम) से कचरा उठाना अनिवार्य था, मगर पालिका अधिकारियों की मेहरबानी से ठेकेदार खुले व जर्जर स्कैप ट्रकों से कचरा ढुलाई कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन ट्रकों के चालक तक बिना वैध लाइसेंस के गाड़ियाँ दौड़ा रहे है। सवाल यह उठता है कि जब गाड़ियाँ ही अवैध हैं, तो ठेका पास कराने में कितनी मोटी रकम का खेल हुआ होगा ? जानकार बताते हैं कि इस ठेके में हर महीने लाखों रुपये की हेराफेरी हो रही है। बंद गाड़ियों का बिल पालिका खातों से पास किया जाता है, जबकि सड़कों पर कबाड़ ट्रक कचरा ढोते नजर आते है। ठेकेदार मोटा मुनाफा कमा रहे हैं और अधिकारी कमीशन की मलाई खा रहे हैं। इस मिलीभगत का नतीजा यह है कि शहर की सड़कों पर बदबू, गंदगी और संक्रमण का माहौल बन गया है। खुले ट्रकों से गिरते कचरे ने वातावरण को जहरीला बना दिया है। डेंगू, मलेरिया और फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।
अशोक नगर निवासी परमेश्वर अंभोरे का कहना है, “सुबह घर से निकलते ही कचरे की बदबू नाक में घुस जाती है। बच्चों को स्कूल भेजना भी मुश्किल हो गया है। यह शहर है या कचरे का ढेर ?”
ऑटो ड्राइवर रहमान शेख बताते हैं, “खुले ट्रकों से कचरा सड़क पर गिरता है। बदबू और मच्छरों के कारण यात्री उलटियाँ करने लगते हैं। कई बार ऑटो रोककर ट्रक निकलने का इंतजार करना पड़ता है।”
 भोईवाड़ा के व्यवसायी फैयाज़ कुरैशी गुस्से में कहते हैं, “यह सब अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत है। जनता से टैक्स वसूलते हैं और बदले में गंदगी व बीमारी देते हैं।”
एक पूर्व नगरसेवक ने कहा कि शासन से भेजे गए अधिकारी पालिका मुख्यालय में बैठकर केवल फाइलों पर हस्ताक्षर करने तक सीमित हैं। उन्हें न शहर की दुर्गंध की परवाह है और न ही नागरिकों के स्वास्थ्य की।

रिपोर्टर : मुस्तकीम खान 

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