कचरा प्रबंधन में घोर लापरवाही स्क्रैप ट्रक और बिना नंबर प्लेट गाड़ियां सड़कों पर, प्रशासन बना मूकदर्शक.

भिवंडी - निजामपुर शहर महानगर पालिका क्षेत्र में कचरा ढुलाई व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित हो चुकी है। नगर पालिका द्वारा नियुक्त निजी ठेकेदार खुले ट्रकों, बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों और बिना लाइसेंस ड्राइवरों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 400 मैट्रिक टन कचरा शहर से बाहर ले जा रहे हैं। इस गंभीर अनियमितता के बावजूद नगर पालिका प्रशासन और यातायात पुलिस विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। खुले ट्रकों में ढोए जा रहे कचरे से उड़ने वाली धूल और दुर्गंध से नागरिकों का जीना दूभर हो गया है। सड़कों पर निकलना अब लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। नागरिकों का कहना है कि इस तरह की कचरा ढुलाई न केवल शहर की स्वच्छता के लिए घातक है बल्कि बीमारियों के फैलने का भी प्रमुख कारण बनती जा रही है।नगर पालिका के आरोग्य एवं स्वच्छता विभाग प्रमुख से लेकर उपायुक्त और आयुक्त तक को इस स्थिति की पूरी जानकारी है। इसके बावजूद ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जब हिन्दी समाचार के प्रतिनिधि ने इस संबंध में स्वच्छता विभाग से संपर्क किया तो संबंधित अधिकारी ने अस्पष्ट जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ लिया।
भिवंडी शहर को पांच प्रभाग समितियों में विभाजित किया गया है, जहां अलग-अलग कंपनियों को कचरा संकलन और ढुलाई का ठेका दिया गया है। प्रभाग समिति क्रमांक एक का ठेका मुंबई की नितीन बनसोड कंपनी को मिला है, जो 25 घंटा गाड़ियों और सात ट्रकों के माध्यम से चाविंद्रा डंपिंग ग्राउंड तक कचरा पहुंचाती है। प्रभाग समिति क्रमांक दो का ठेका भिवंडी की डिंपल इंटरप्राइजेस कंपनी को दिया गया है, जो 22 घंटा गाड़ियों और आठ ट्रकों से कचरा ढोती है। प्रभाग समिति क्रमांक तीन का कार्य नवी मुंबई की प्रियंका थोरबे कंपनी कर रही है, जो 23 घंटा गाड़ियों और आठ ट्रकों का उपयोग करती है। प्रभाग समिति क्रमांक चार का ठेका भिवंडी की बुबूरे एसोसिएशन कंपनी को मिला है, जो 20 घंटा गाड़ियों और छह ट्रकों के माध्यम से कचरा संकलन करती है। वहीं प्रभाग समिति क्रमांक पांच में उल्लासनगर की कोर्णाक कंपनी 20 घंटा गाड़ियों और पांच ट्रकों से कचरा ढुलाई करती है।इन कंपनियों ने अपने अपने प्रभाग क्षेत्र जैसे म्हाडा कॉलोनी, बहत्तर गाला, फेना पाडा, सुभाष नगर और ग्लैक्सी टॉकीज के पास कचरा संकलन केंद्र बनाए हैं। प्रत्येक प्रभाग में दो जेसीबी मशीनें और कुल मिलाकर 34 ट्रक लगाए गए हैं।
सूत्रों की मानें तो अधिकांश ट्रक स्क्रैप हो चुके हैं और कई वाहनों की नंबर प्लेट तक गायब है। कई ड्राइवरों के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं हैं। इसके बावजूद न तो पालिका प्रशासन और न ही यातायात विभाग इन पर कोई सख्त कार्रवाई कर रहा है।स्थानीय नागरिकों ने बताया कि खुले ट्रकों से उड़ती धूल और कचरे से उठती बदबू से क्षेत्र में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। कई जगहों पर कचरे के ढेर खुले में पड़े रहते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। नागरिकों का कहना है कि जब नगर पालिका को इस अव्यवस्था की पूरी जानकारी है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। लोगों का सवाल है कि क्या ठेकेदारों के प्रभाव के आगे प्रशासन की कार्यप्रणाली यूं ही बेबस बनी रहेगी और शहर की स्वच्छता व्यवस्था इसी तरह दम तोड़ती रहेगी।
रिपोर्टर - मुस्तकीम खान
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