पुष्प की प्यारी सी अभिलाषा पढ़ा रही देशभक्ति का पाठ

देशभक्ति की झलक हर कवि, हर लेखक की किसी न किसी रचना में देखने को जरूर मिलती है .जिसमें कवि व लेखक देशवासियों के अंदर देश भक्ति की भावना को जाग्रत करने का प्रयास करते हैं , ऐसे कवियों की बदौलत देशवासियों के अंदर देशभक्ति की भावना को जाग्रत करने में साहित्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है . उन्ही कवियों में से एक है कवि 'माखनलाल चतुर्वेदी' जिन्होंने अपनी रचना "पुष्प की अभिलाषा " के जरिये देशवासियों के मन में देशभक्ति की भावना को जाग्रत करने का काम किया है .आज हम आपके साथ उनकी यह बहुत ही प्यारी रचना साझा कर रहें है हमें उम्मीद है कि यह रचना आपको जरूर पसंद आएगी  ... 

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक

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