प्रेम की खूबसूरती का एहसास कराती ये पांच रचनाएं

प्रेम एक ऐसा एहसास जिससे कोई भी इंसान अछूता नहीं रह सकता हैं .प्रेम पर किसी का ना तो जोर चलता हैं और ना ही किसी भी तरह की कोई जबरदस्ती. प्रेम पर चाहे जितना पहरा लगा दिया जाएँ किन्तु इसे होने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती है .प्रेम को बहुत से कवियों ने अपने अपने शब्दों से बयां किया है.किसी ने प्रेम में पाने की इच्छा ज़ाहिर की हैं तो किसी ने अधूरें प्रेम को ही को ही सच्चा प्रेम बताया है. प्रेम एक ऐसी चीज है जिसे ना तो छूआ जा सकता हैं और ना ही देखा जा सकता हैं .प्रेम को सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जा सकता है .तो चलिए प्रेम के इस महीने को कवियों की कुछ खूबसूरत रचनाओं के माध्यम से महसूस करते हैं ..... 


1

मैं 
तुम्हारे मन की 
एक तस्वीर हूँ 
छूना मत। 



आत्महत्या का बेहतरीन तरीक़ा होता है 
इच्छा की फ़िक्र किए बिना जीते चले जाना 
पाँच हज़ार वर्ष से ज़्यादा हो चुकी है मेरी आयु 
अदालत में अब तक लंबित है मेरा मुक़दमा 
सुनवाई के इंतज़ार से बड़ी सज़ा और क्या 
बेतहाशा दुखती है कलाई के ऊपर एक नस 
हृदय में उस कृत्य के लिए क्षमा उमड़ती है 
जिसे मेरे अलावा बाक़ी सबने अपराध माना 
क़ानून की किताब में इस पर कोई अनुच्छेद नहीं। 



मैं नारी का प्रेमी 
मेरी प्रीत अपावन 
गंदी मेरी भावराशि 
सब गीत अपावन 
नहीं नहीं यह रिमझिम रिमझिम 
साजन सावन 
प्यारी तरुण तड़ित का 
करता है आवाहन। 



खोजता तुमको फिरा तस्वीर लेकर, 
पा सका लेकिन, नयन का नीर देकर; 
प्रीत की क़ीमत चुकाई ख़ूब तुमने, 
प्रीत के बदले हृदय में पीर देकर! 
मैं चलते-चलते चूर हो गया हूँ, 
पर, आदत से मजबूर हो गया गया हूँ; 
दिल के दौलतख़ाने में प्रीत जमा करते
ग़म उठा-उठा मज़दूर हो गया हूँ! 


5  
तुमने कहा 
रात में मिलो 
मैं रात में मिली 
और रात ने 
रात का अर्थ समझा 
तुमने कहा 
मिलो लेकिन कोई न देखे 
मैं मिली 
और किसी ने नहीं देखा 
तुमने भी नहीं। 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.