कवियत्री महादेवी वर्मा की सभी के दिल को छूती ये दर्द भरी रचना

सुप्रसिद्ध कवियत्री महादेवी वर्मा की हर एक रचना बहुत ही उम्दा और हृदयस्पर्शी है,हर रचना एक से बढ़कर एक है. महादेवी वर्मा के काव्यसंग्रह से हमने आज एक ऐसी रचना निकाली है जिसे पढ़कर हर किसी की आँखे नम हो जाती है .कवियत्री महादेवी वर्मा ने इस रचना के जरिये अपने जिंदगी की दर्दभरी कहानी को बयां किया है .खुद को दुःख की बदली बताया है और साथ ही यह भी बयां किया है कि किस तरह वो उमड़ी कल थी लेकिन आज मिटने जा रही हैं .इस रचना की एक-एक पंक्ति हृदयतल को स्पर्श कर रही है. पढ़िए पूरी रचना .....

मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!

मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!

पथ को न मलिन करता आना,
पद चिह्न न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली !

मैं नीर भरी दुख की बदली

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