भारत का तिरंगा: इतिहास, विकास और पहली बार फहराया जाना

इस साल भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2025) मना रहा है। हर साल की तरह इस दिन प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं और देश के वीरों को सलामी देते हैं। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, केवल आजादी का प्रतीक नहीं बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और देश की एकता की कहानी भी कहता है। आइए जानते हैं कि तिरंगा कैसे बना और इसे सबसे पहले किसने फहराया।
तिरंगे का विकास और इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास कई चरणों और प्रयासों से बना। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विभिन्न संगठनों ने अपने-अपने झंडे बनाए, लेकिन आधिकारिक तिरंगे का निर्माण एक लंबी प्रक्रिया के बाद हुआ।
पहला राष्ट्रीय ध्वज (1906)
7 अगस्त 1906 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) के पारसी बागान चौक में सबसे पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। इसमें हरी, पीली और लाल रंग की पट्टियां थीं और ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था। इसे "कलकत्ता फ्लैग" या "लोटस फ्लैग" के नाम से भी जाना जाता है।
दूसरा राष्ट्रीय ध्वज (1907)
जर्मनी में आयोजित इंटरनेशनल सोशियलिस्ट कांग्रेस में मैडम भीखाजी रुसतम कामा ने भारत का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसे हेम चंद्र दास ने डिजाइन किया था।
तीसरा राष्ट्रीय ध्वज (1917)
होम रूल आंदोलन के दौरान डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने नया झंडा अपनाया, जिसमें पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां थीं, साथ ही चंद्रमा और तारा भी था।
तिरंगे का पहला संस्करण (1921)
1921 में विजयवाड़ा में पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी के सामने लाल, हरा और सफेद रंग वाला झंडा पेश किया। गांधी जी ने इसमें चरखा जोड़ने का सुझाव दिया, जो स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक था। यही पहला तिरंगा बन गया।
आधिकारिक तिरंगा (1931)
1931 के कांग्रेस कराची अधिवेशन में केसरिया, सफेद और हरी पट्टियों वाला झंडा अपनाया गया, जिसमें बीच में चरखा था। इस डिजाइन को पिंगली वेंकैया ने तैयार किया और यही आगे चलकर भारत के राष्ट्रीय ध्वज का आधार बना।
अंतिम रूप (1947)
15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के बाद चरखे की जगह अशोक चक्र (धर्म चक्र) को रखा गया। अशोक चक्र न्याय और प्रगति का प्रतीक है। इस बदलाव के साथ भारत का वर्तमान तिरंगा अस्तित्व में आया।
सबसे पहले तिरंगा किसने फहराया?
भारत का वर्तमान तिरंगा झंडा पहली बार 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फहराया। इससे पहले, 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे भारत का राष्ट्रीय ध्वज आधिकारिक रूप से अपनाया था। इस दिन को आज "झंडा दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
तिरंगा न सिर्फ रंगों का प्रतीक है, बल्कि यह स्वतंत्रता की भावना, देशभक्ति और भारतीय नागरिकों के साहस और संघर्ष का प्रतीक भी है। हर स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से फहराया गया तिरंगा हमें हमारी आजादी की याद दिलाता है और देश की एकता का संदेश देता है।
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