बगैर कपड़ों के यूनिवर्सिटी में घूमती दिखी लड़की,दुनिया भर में मचा हड़कंप
16 सितंबर, 2022 को ईरान में एक भयावह घटना हुई थी... जिसने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया। 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस कस्टडी में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी... उसका "कसूर" बस यह था कि उसने ईरान के सख्त हिजाब नियमों का पालन नहीं किया। पुलिस ने उसे इतना मारा कि उसकी पसलियां टूट गईं और उसकी जान चली गई। यह महज एक लड़की की मौत नहीं थी ...बल्कि पूरी दुनिया को शर्म से मारने वाला ऐलान था .. लेकिन अब ये बात फिर सुर्खियो में इसलिए आ गई है क्योंकि हाल ही में, तेहरान की एक यूनिवर्सिटी में एक छात्रा ने हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए केवल चंद कपड़ों में ही घूमकर अपनी बात रखी.... उसके साथ खड़ी भीड़ ने "जेन, जिंदगी, आजादी" का नारा लगाया, जो महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की मांग का प्रतीक है...ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या यह उन तानाशाहों के लिए एक खुली चुनौती नहीं है, जो महिलाओं को अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं देते?
महसा की मौत के बाद, दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन हुए... एक रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रदर्शन पिछले एक दशक के सबसे बड़े थे, 15 सितंबर, 2023 तक इन प्रदर्शनों में 551 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं, करीब 20 हजार लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया।. अब, इस छात्रा के खिलाफ भी डर का साया छाया हुआ है, क्योंकि लोग उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।15 सितंबर, 2023 तक इन प्रदर्शनों में 551 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं, करीब 20 हजार लोगों को जेलों में ठूंस दिया गई है ..
देखा जाए तो महिलाओं के अधिकारों की ये लड़ाई सिर्फ ईरान की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की है।वहीं इरान में 1979 में जब अयातुल्लाह खुमैनी ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने महिलाओं को हिजाब पहनने का आदेश दिया। तब से लेकर आज तक, महिलाओं पर कई तरह के अत्याचार होते रहे हैं।
वहीं ईरान में किसी भी प्रदर्शन में अक्सर ये नारा गूंजता है। फारसी में दिया गया यह नारा है-जेन, जिंदगी, जिसका हिंदी में मतलब है-महिलाओं के अधिकार जीवन और स्वतंत्रता के केंद्र में हैं। यह नारा 2006 में तुर्की में कुर्द स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं के मार्च के दौरान लोकप्रिय हुआ था और यह कुर्द नेता अब्दुल्ला ओकलान के विचार से उपजा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई देश तब तक आजाद नहीं हो सकता जब तक महिलाएं आजाद न हों
देखा जाए तो बहुत से लोग कहेंगे कि इस तरह आजादी मांगना क्या सही है ...वाकई ये एक लौता तरीका नहीं है , जो आजादी कि बात करता हो ..और भी तरीके हो सकते हैं ...मगर जिस देश की महिलाएं सदियों से जुल्म झेल रही हों ....जहां कभी लिपिस्टिक लगाने की सजा में ब्लेड से होट काटे गए हों ..वहां गुबार ऐसे जरूर निकाला जा सकता है ..
वहीं "जेन, जिंदगी, आजादी" का नारा हमें भी याद दिलाता है कि जब तक महिलाएं स्वतंत्र नहीं होंगी, तब तक कोई समाज सच्चे अर्थों में स्वतंत्र नहीं हो सकता।
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