मंगलवार को क्यों माना जाता हैं हनुमान जी का दिन ?

मंगलवार को हनुमान जी का दिन मनाने के पीछे कई कारण और मान्यताएं है. यह दिन हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उनका जन्म मंगलवार को हुआ था.हनुमान जी भगवान राम के सबसे बड़े भक्त थे, और मंगलवार को उनकी भक्ति और समर्पण को याद किया जाता है.इसके अलावा, हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, और मंगलवार को शिव जी की पूजा का दिन भी होता है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, मंगलवार को मंगल ग्रह का प्रभाव होता है, जो ऊर्जा, साहस और बल का प्रतीक है. हनुमान जी को भी बल और साहस का प्रतीक माना जाता है. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुरक्षा, बल और साहस प्रदान करते हैं. इसके अलावा, हनुमान जी की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है.

ज्योतिषीय दृष्टिकोण 
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन मंगल ग्रह का प्रभाव होता है, जो ऊर्जा, साहस और बल का प्रतीक है. हनुमान जी को भी बल और साहस का प्रतीक माना जाता है. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से मंगल ग्रह की शांति होती है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि आती है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति खराब है, तो मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से मंगल की शांति होती है. इसके अलावा, हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था, और उनकी शक्ति और बल का प्रतीक मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ है. इन ज्योतिषीय कारणों से, मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.

इन मंत्रो का करे जाप 
मंगलवार के दिन विशेष जाप करने से विशेष लाभ होता है. हनुमान जी के मंत्र जैसे कि "ॐ श्री हनुमते नमः", हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा और शक्ति प्राप्त होती है.इसके अलावा, मंगल मंत्र "ॐ श्री मंगलाय नमः" और नवग्रह मंत्र का जाप करने से मंगल ग्रह की शांति होती है. भगवान विष्णु को समर्पित "ओम नमो नारायण" मंत्र का जाप भी मंगलवार को विशेष लाभकारी होता है. जाप करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जैसे कि सुबह स्नान करने के बाद जाप करना, पवित्र और शांत स्थान चुनना, मानसिक एकाग्रता बनाए रखना और जाप के बाद हनुमान जी की पूजा करना. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जाप करने से पहले अपने गुरु या पंडित से परामर्श करना चाहिए.

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