हल्दी की जैविक खेती करके किसान कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, देखें पूरी प्रक्रिया

हल्दी (Turmeric) की जैविक खेती आज के समय में एक लाभकारी और सतत (Sustainable) विकल्प बनती जा रही है। खासतौर पर विदेशी बाजारों में जैविक हल्दी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों को बड़े मुनाफे का मौका मिल सकता है। हल्दी की जैविक खेती की पूरी प्रक्रिया, जिससे किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं:

हल्दी की जैविक खेती: पूरी प्रक्रिया

1. जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता

जलवायु: गर्म और आर्द्र (humid) जलवायु में अच्छी पैदावार।
मिट्टी: हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी (pH 5.5 से 7.0), जिसमें जल निकासी अच्छी हो।

2. उन्नत किस्मों का चयन

प्रमुख किस्में:

राजेन्द्र सोना
एलओटी-409
प्रभा, सुवर्णा, रश्मि (ICAR द्वारा विकसित)

3. भूमि की तैयारी

खेत की 2-3 बार जुताई करें और गोबर की खाद (20-25 टन/हेक्टेयर) डालें।
मिट्टी में जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली, और ट्राइकोडर्मा मिलाएं।

4. बीज (राइजोम) की तैयारी और रोपण

बीज का चयन: 20-25 ग्राम के स्वस्थ राइजोम।
बुवाई का समय: मई-जून (मानसून शुरू होने से पहले)।
रोपण विधि: 30x20 सेमी की दूरी पर राइजोम को 5-7 सेमी गहराई में लगाएं।

5. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, फिर हर 7-10 दिन में।
जैविक मल्चिंग करें (सूखी घास, पत्तियाँ)।
खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से निराई करें।

6. जैविक खाद और कीट नियंत्रण

खाद:

वर्मी कम्पोस्ट: 5 टन/हेक्टेयर
नीम खली: 1 टन/हेक्टेयर
कीट नियंत्रण:
नीम तेल स्प्रे,
बेवेरिया बैसियाना,
ट्राइकोडर्मा और पीएसबी कल्चर का प्रयोग करें।

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