घर और खेत में तुलसी की खेती कैसे करें
तुलसी (Ocimum sanctum), जिसे पवित्र पौधा भी कहा जाता है, भारतीय घरों और मंदिरों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके औषधीय, धार्मिक और आर्थिक महत्व के कारण इसकी खेती लाभकारी हो सकती है।
1. भूमि और जलवायु (Soil & Climate)
तुलसी लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उग सकती है, लेकिन हल्की दोमट (loamy) मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
मिट्टी की pH 6.0-7.5 आदर्श है।
तुलसी को सूरज की अच्छी रोशनी पसंद है।
अत्यधिक ठंड या अत्यधिक गर्मी तुलसी की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
2. बीज बुवाई (Seed Sowing)
बीज मार्च से जुलाई तक बोए जा सकते हैं।
बीज को हल्की मिट्टी में 0.5-1 cm गहराई पर बोना चाहिए।
बीजबुवाई के बाद मिट्टी को हल्का गीला रखना चाहिए।
अंकुरण (Germination) आमतौर पर 7-14 दिन में होता है।
3. जलसिंचाई (Irrigation)
तुलसी को संतुलित जल की आवश्यकता होती है।
ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं और कम पानी से पत्ते सुख सकते हैं।
सप्ताह में 2-3 बार सिंचाई पर्याप्त होती है, मौसम के अनुसार।
4. खाद और उर्वरक (Fertilizers & Manure)
तुलसी को जैविक खाद (compost, FYM) अधिक पसंद है।
रासायनिक उर्वरक में NPK (Nitrogen, Phosphorus, Potassium) संतुलित मात्रा में डालें।
पत्तियों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए Nitrogen की मात्रा नियंत्रित रखें।
5. कटाई (Harvesting)
तुलसी को बीज लगने से पहले या पौधे की उम्र 3-4 महीने होने पर काट सकते हैं।
पत्तियों को सावधानीपूर्वक तोड़ें, ताकि पौधा और बढ़ सके।
कटाई के बाद पौधे की अच्छी देखभाल करें, जिससे बार-बार पत्तियां मिलें।
6. रोग और कीट (Pests & Diseases)
आम कीट: एपिड्स (Aphids), सफेद मक्खी (Whiteflies)
आम रोग: फफूंदी (Powdery mildew), पत्ती झुलसी (Leaf blight)
जैविक कीट नियंत्रण और उचित वेंटिलेशन से पौधे स्वस्थ रहते हैं।
7. तुलसी की कृषि का लाभ (Benefits of Tulsi Cultivation)
धार्मिक और औषधीय महत्व के कारण अच्छी मांग।
तुलसी तेल और पत्तियों से आय प्राप्त हो सकती है।
घरेलू और वाणिज्यिक दोनों स्तर पर खेती की जा सकती है।
तुलसी की खेती सरल, लाभकारी और कम जोखिम वाली है। सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल से यह पौधा सालों तक अच्छी पैदावार देता है।
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