विधान परिषद में खाद और शिक्षा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी झड़प-

BY-PRAKHAR SHUKLA 

विधान परिषद में खाद और शिक्षा के मुद्दे पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी झड़प-

 

किसानों की बदहाली और खाद संकट पर सपा का वॉकआउट-

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सोमवार को खाद की किल्लत और किसानों की समस्याओं को लेकर भारी हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि प्रदेश में किसान बदहाल हैं, खाद की भारी कालाबाजारी हो रही है और धान खरीद में बिचौलिए हावी हैं। सपा सदस्य किरणपाल कश्यप ने चुटकी लेते हुए कहा कि "चौकीदार" के नारे के बीच निराश्रित पशुओं की समस्या ने किसानों को खुद रात-भर खेतों की रखवाली करने वाला चौकीदार बना दिया है। नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा के शासन में एक भी किसान गरीबी रेखा से बाहर नहीं आया।

कृषि मंत्री का पलटवार: पिछली सरकार की याद दिलाई-

जब कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देना शुरू किया, तो सदन में तकरार बढ़ गई। मंत्री ने सपा सदस्यों को उनके कार्यकाल के दौरान खाद के लिए लगने वाली लंबी लाइनों और किसानों पर हुए लाठीचार्ज की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि सपा को अपने नौ साल पुराने अनुभव याद आ रहे हैं। जैसे ही मंत्री ने अपनी बात शुरू की, सपा सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन (वॉकआउट) कर दिया। उनकी अनुपस्थिति में मंत्री ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि वर्तमान में कृषि विकास दर 17% से अधिक है और खाद की कोई कमी नहीं है।

पुरानी पेंशन और शिक्षकों के शोषण पर गर्माया माहौल-

शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर बहस के दौरान सपा सदस्य डॉ. मानसिंह यादव ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई, जिस पर सरकार ने स्पष्ट किया कि 1 अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना लागू है और फिलहाल इसे बदलने का कोई विचार नहीं है। वहीं, सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 के बहाने शिक्षकों के शोषण का मुद्दा उठाया। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने बचाव करते हुए कहा कि शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए DIOS को कार्रवाई का अधिकार दिया गया है और संयुक्त शिक्षा निदेशक के पास अपील करने का भी प्रावधान है।

शिक्षण संस्थानों के बिजली बिलों में सुधार का भरोसा-

सदन में शिक्षण संस्थानों पर लगाए जा रहे भारी बिजली बिल का मुद्दा भी उठा। नेता प्रतिपक्ष ने आपत्ति जताई कि शिक्षण संस्थानों की बिजली दरें व्यावसायिक दरों से भी अधिक हैं। इस पर ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने स्पष्ट किया कि शिक्षण संस्थानों को LMV-4 श्रेणी में रखा गया है, जबकि व्यावसायिक कार्य LMV-2 में आते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि दरों में विसंगति हो सकती है और भरोसा दिलाया कि सरकार विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखेगी ताकि शिक्षण संस्थानों को राहत मिल सके।


 

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