उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ी बहस...
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बिजली के स्मार्ट मीटर को लेकर चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ी बहस देखने को मिली। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर विपक्ष बिना तथ्यों के आरोप लगा रहा है। उन्होंने दावा किया कि पिछले सात दशकों में जितना काम बिजली क्षेत्र में हुआ, उसकी तुलना में योगी सरकार ने पिछले 7–9 वर्षों में अधिक ठोस कदम उठाए हैं।
प्रदेश में बिजली आपूर्ति की उपलब्धियां
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश के हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके लिए नई बिजली उत्पादन इकाइयों की स्थापना और ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत किया गया है। मंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में रिकॉर्ड स्तर पर बिजली आपूर्ति हो रही है, जो पहले संभव नहीं थी।
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने बिजली आपूर्ति में ठोस सुधार न होने और स्मार्ट मीटर योजना को उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ बताते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने पुराने बिजली बिल, ब्याज और सरचार्ज का हवाला देते हुए कहा कि आम उपभोक्ता पहले ही महंगे बिलों से परेशान हैं। सपा ने भी इसी मुद्दे को विधानसभा में उठाया।
राहत योजनाओं का ब्यौरा
ऊर्जा मंत्री ने विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए बताया कि सरकार ने उपभोक्ताओं की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए राहत योजनाएं लागू की हैं। बिजली बिल पर लगने वाले ब्याज और सरचार्ज में 100 प्रतिशत तक छूट दी गई है। मार्च तक की समय-सीमा से संबंधित सवालों पर उन्होंने कहा कि जनता की प्रतिक्रिया के आधार पर नियमों में सुधार किया गया और मार्च के बाद भुगतान करने वालों को भी योजना का लाभ मिलेगा।
स्मार्ट मीटर योजना का बचाव
स्मार्ट मीटर पर आपत्तियों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि यह तकनीक-आधारित आधुनिक व्यवस्था है, जैसे स्मार्टफोन आज हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने सदन से अपील की कि स्मार्ट मीटर को लगवाने और इसके उपयोग को समझने दिया जाए। 16 दिसंबर तक प्रदेश में 55 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं और शिकायतों का प्रतिशत बहुत कम है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि कुछ मामलों में बिल अधिक दिखने का भ्रम होता है, खासकर मीटर महीने के बीच में लगने पर, और इसके लिए चेक मीटर लगाने की व्यवस्था भी है।
उपभोक्ताओं से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं
मंत्री ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने के लिए मौजूदा उपभोक्ताओं से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है। इसका उद्देश्य बिलिंग में पारदर्शिता लाना और उपभोक्ताओं को बिजली खर्च पर नियंत्रण देना है। निजीकरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार हर निर्णय उपभोक्ताओं के हित में ही लेगी और बिजली से जुड़े सभी फैसलों में जनता का हित सर्वोपरि रहेगा।

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