घर में सुख समृद्धि के लिए मंदिर में इन नियमों का रखे ध्यान

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान हैं जो घर , ऑफिस और अन्य स्थानों में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए नियमों का वर्णन करता हैं . इन नियमों का पालन करके हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं और नकारात्मक ऊर्जा से बच सकते हैं . वास्तु शास्त्र में घर के पूजा घर से लेकर किचन और बाथरूम तक के बारे में कई नियम बताए गए हैं. इन नियमों के अनुसार ही घर में चीजों को रखना चाहिए. घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति रखने के लिए विशेष नियम हैं. इन नियमों का पालन करके हम अपने घर में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रख सकते हैं.
मूर्ति का आकार
वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक , पूजा कक्ष में रखी जाने वाली मूर्ति का आकार 2 इंच से कम और 9 इंच से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. ज़्यादा ऊंची मूर्तियों की पूजा करने से पूरा फल नहीं मिलता हैं. यह नियम इसलिए हैं ताकि घर में रहने वाले लोगों को भगवान की मूर्ति की पूजा करने में आसानी हो और वे अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकें.
शिवलिंग से जुड़े वास्तु नियम
वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,शिवलिंग का आकार अंगूठे से ज़्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए. इसके अलावा ध्यान रहे कि घर में एक से ज़्यादा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए.शिवलिंग की पूजा करने से घर में शांति और सुख-समृद्धि आती हैं, लेकिन इसके लिए सही तरीके से पूजा करना आवश्यक हैं.
अन्य महत्वपूर्ण नियम
1. वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,घर में मां दुर्गा की मूर्तियों की संख्या तीन नहीं होनी चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता हैं.
2. वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,घर में हनुमान जी की एक ही मूर्ति रखनी चाहिए.इससे घर में शक्ति और साहस की वृद्धि होती हैं.
3.वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,मंदिर में बैठे हुए हनुमान जी की मूर्ति रखना श्रेष्ठ माना जाता हैं. इससे घर में शांति और सुख-समृद्धि आती हैं.
4. वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,घर में खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता हैं.
5.वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक ,हाथी की ठोस चांदी या पीतल की मूर्ति रखना शुभ माना जाता हैं. इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति आती हैं.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर की दिशा
1-वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर की दिशा पूर्व या उत्तर-पूर्व होनी चाहिए.
2-वास्तु शास्त्र के अनुसार ,मंदिर की दिशा कभी भी दक्षिण या पश्चिम नहीं होनी चाहिए.
3- वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर की दिशा इस तरह होनी चाहिए कि घर में रहने वाले लोगों को सूर्य के साथ पहल हो.
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