"पेशाब से आंख धोना – पुणे की लाइफ कोच के दावे ने मचाया बवाल"

पुणे की महिला नुपुर पिट्टी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह यह दावा करती दिखती हैं कि वह हर सुबह अपनी आंखें खुद की पेशाब से धोती हैं, और इसे उन्होंने "यूरीन आई वॉश – नेचर की अपनी दवा" कहा है।

नुपुर पिट्टी खुद को एक "मेडिसिन-फ्री लाइफ कोच" बताती हैं।उनका उद्देश्य है लोगों को बिना दवाइयों के प्राकृतिक इलाज की तरफ प्रेरित करना। इसी सोच के तहत उन्होंने यह वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह "प्राकृतिक चिकित्सा" के नाम पर पेशाब से आंख धोने की सलाह देती नजर आईं। नुपुर पिट्टी का कहना है कि यह नेचुरल ट्रीटमेंट है, जिससे उन्हें आंखों में कभी संक्रमण नहीं होता। वह इसे "डेली रूटीन" का हिस्सा बताती हैं। न्होंने इसे “नेचर की मेडिसिन” कहकर प्रचारित किया।

लोगों ने वीडियो पर कड़ी निंदा की।कुछ ने इसे "गंदा", "गैर-जिम्मेदाराना", और "साइंटिफिकली गलत" बताया।डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस व्यवहार की निंदा करते हुए चेतावनी दी कि यह खतरनाक हो सकता है।

मेडिकल एक्सपर्ट्स की चेतावनी:
"पेशाब स्टेराइल नहीं होता है। इसमें बैक्टीरिया, यूरिया और विषैले तत्व होते हैं जो आंख जैसे संवेदनशील अंग में डालना बेहद खतरनाक है।"
यह आई इन्फेक्शन, कॉर्निया डैमेज, एलर्जी और स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है।कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यूरीन से आंख धोने से कोई स्वास्थ्य लाभ होता है।

अपने पेशाब (मूत्र) से आंखें धोने की परंपरा या घरेलू उपाय कुछ लोगों के बीच प्रचलित है, खासकर ग्रामीण इलाकों या पारंपरिक चिकित्सा मान्यताओं में। इसका मूल कारण यह धारणा है कि ताज़ा मूत्र (खासकर सुबह का) "शुद्ध" होता है और उसमें कुछ एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। लेकिन विज्ञान की नजर से यह न सिर्फ ग़लत है, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है।

पेशाब से आंख धोने की वजहें (धारणा के अनुसार):

  • प्राकृतिक एंटीसेप्टिक: कुछ लोग मानते हैं कि मूत्र में संक्रमण से लड़ने वाले तत्व होते हैं।
  • प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय: कुछ आयुर्वेदिक मान्यताओं में इसे शुद्ध मानकर त्वचा या आंखों की समस्या में प्रयोग करने की बात होती है।
  • सस्ते इलाज की चाह: लोग डॉक्टर के पास जाने के बजाय घरेलू उपाय अपनाते हैं।

डॉक्टरों की राय – ऐसा बिल्कुल न करें

  • नेत्र विशेषज्ञों और एलोपैथिक डॉक्टरों के अनुसार:मूत्र में बैक्टीरिया हो सकते हैं, भले ही वह आपका खुद का हो।
  • आंख बहुत संवेदनशील अंग है – इसमें थोड़ा भी संक्रमण आंख की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • गंभीर संक्रमण (कंजंक्टिवाइटिस, यूवाइटिस) हो सकता है।
  • कॉर्निया को स्थायी नुकसान हो सकता है।

क्या करें अगर आंख में जलन या संक्रमण हो?

  • स्वच्छ पानी से धोएं (उबाला और ठंडा किया गया पानी सबसे सुरक्षित है)।
  • आई ड्रॉप्स का प्रयोग करें – OTC (Over-the-Counter) आई ड्रॉप जैसे कि लुब्रिकेटिंग ड्रॉप्स मदद कर सकते हैं।
  • नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें अगर 1–2 दिन में सुधार न हो।

खुद के पेशाब से आंख धोना विज्ञान आधारित नहीं है और संक्रमण का गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। किसी भी तरह की नेत्र समस्या में सेल्फ-ट्रीटमेंट की बजाय डॉक्टर से संपर्क करना सबसे सुरक्षित और समझदारी भरा कदम है।

ऐसा कंटेंट, खासकर स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ, लाखों लोगों को भ्रमित कर सकता है, विशेषकर वे जो मेडिकल जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर रहते हैं।इस तरह के दावों को फैक्ट-चेक करना और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार ही व्यवहार करना ज़रूरी है।

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