दामोदर घाटी के विस्थापितों की ऐतिहासिक जीत, डीवीसी ने मानी वर्षों पुरानी मांगे

विष्णुगढ़ : दामोदर घाटी विस्थापित एवं स्थानीय समन्वय समिति के लंबे संघर्ष और शांतिपूर्ण आंदोलनों का बड़ा परिणाम अब सामने आया है। वर्षों से लंबित विस्थापितों की मांगों को अंततः डीवीसी (दामोदर वैली कॉर्पोरेशन) के शीर्ष प्रबंधन ने मान्यता दी है और उनके समाधान की दिशा में ठोस पहल शुरू की है।
समिति द्वारा वर्षों से पुनर्वासित परिवारों की समस्याओं को लेकर किए जा रहे सतत प्रयासों ने अब नीति-निर्माण स्तर तक असर दिखाया है। डीवीसी के माननीय अध्यक्ष ने सभी परियोजना प्रमुखों को विस्थापितों से जुड़े पाँच प्रमुख मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
इन निर्देशों में भूमि म्यूटेशन प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से पूरा करना, विकास योजनाओं में विस्थापितों की भागीदारी, CSR के तहत बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, और आजीविका से जोड़ने की व्यवस्था शामिल हैं 
इस संघर्ष को मजबूती मिली जब समिति की मांगों को सांसद मनीष जायसवाल (हजारीबाग), चंद्र प्रकाश चौधरी (गिरिडीह), ठुलु महतो, और विधायक डॉ. इरफान अंसारी तथा निर्मल महतो ने संसद और विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाया।
इसके साथ ही समिति के केन्द्रीय महासचिव श्री उत्पल चक्रवर्ती द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विद्युत मंत्री, मुख्यमंत्री और उपायुक्त जैसे उच्च अधिकारियों से लगातार पत्राचार और संवाद किया गया
डीवीसी हजारीबाग के निदेशक ने सभी परियोजनाओं के म्यूटेशन संबंधित रिपोर्ट को कोलकाता मुख्यालय भेज दिया है। कोनार डैम परियोजना में भी तेजी आई है, जहां परियोजना प्रमुख श्री राणा रंजीत सिंह और CSR प्रभारी श्री सुनील कुमार ने विस्थापित गांवों का दौरा किया।
वहीं, कोर कमेटी अध्यक्ष सुरेश राम और समिति के अन्य सदस्य लगातार डीवीसी अधिकारियों के साथ समन्वय में कार्य कर रहे हैं।

पूर्व में समिति द्वारा बिष्णुगढ़ अंचल अधिकारी श्री नित्यानंद दास से विस्थापितों और डीवीसी के बीच संयुक्त बैठक की मांग की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए 23 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इसमें डीवीसी हजारीबाग निदेशक श्री आर. के. पाठक और सलाहकार श्री रोशन कुमार भी मौजूद थे।
बैठक के परिणामस्वरूप म्यूटेशन की प्रक्रिया को अंचल कार्यालय स्तर से आगे बढ़ाया गया, जिससे विस्थापितों के बीच उम्मीद की एक नई किरण जगी है।

एक ऐतिहासिक कदम के तहत, मैथन परियोजना के अंतर्गत जमताड़ा में 30 अगस्त 2025 को पहली बार CSR नीति के तहत कार्य प्रारंभ किया गया। यह कदम 1981 में SOP लागू होने के बाद 43 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद उठाया गया है।
परियोजना प्रमुख एवं CSR प्रबंधक की पहल पर यह कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसे विस्थापितों की एक बड़ी जीत माना जा रहा है।
दामोदर घाटी विस्थापित एवं स्थानीय समन्वय समिति ने सभी विस्थापित परिवारों से संयम और सहयोग बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि यह संघर्ष इस बात का प्रमाण है कि संवाद और शांतिपूर्ण प्रयासों से भी बदलाव संभव है, यदि नीयत साफ और दृष्टिकोण सकारात्मक हो।


रिपोर्टर : संदीप मिश्रा  

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.