इंसान नहीं, ‘व्योममित्र’ करेगा अंतरिक्ष की सैर


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब तक चंद्रयान, मार्स मिशन और सैटेलाइट लॉन्च के लिए जाना जाता था। लेकिन अब एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जिसमें अंतरिक्ष की सैर इंसान नहीं बल्कि एक एआई रोबोट करेगा। इसरो ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए एक ह्यूमनॉइड रोबोट तैयार किया है, जिसका नाम है व्योममित्र।

व्योममित्र कौन है?

व्योममित्र एक ऐसा ह्यूमनॉइड रोबोट है, जिसका ऊपरी शरीर इंसान जैसा है। इसका चेहरा, आंखें और आवाज़ इंसानों जैसी हैं। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बात कर सकता है। हालांकि इसके निचले हिस्से (पैरों) का निर्माण नहीं किया गया है, क्योंकि इसे बैठी हुई स्थिति में यान के अंदर कार्य करना है।

नाम का अर्थ और महत्व

‘व्योममित्र’ दो शब्दों से मिलकर बना है— ‘व्योम’ यानी अंतरिक्ष और ‘मित्र’ यानी दोस्त। नाम से ही इसका उद्देश्य स्पष्ट है कि यह रोबोट अंतरिक्ष में भारत का पहला कृत्रिम सहयात्री बनने जा रहा है। यह नाम न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से उपयुक्त है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा करता है।

व्योममित्र की जिम्मेदारियाँ

गगनयान मिशन में व्योममित्र की भूमिका केवल प्रतीकात्मक नहीं होगी। यह यान के अंदर तापमान, दबाव, कंपन और गैस सेंसर जैसी स्थितियों की निगरानी करेगा। यह कंट्रोल पैनल को संचालित कर सकता है, डेटा भेज सकता है और आपातकालीन स्थितियों में चेतावनी भी दे सकता है। इसके अलावा, यह ग्राउंड कंट्रोल से संवाद बनाए रखेगा।

मानव की जगह व्योममित्र क्यों?

गगनयान की पहली उड़ान एक परीक्षण मिशन है। किसी भी अंतरिक्ष यान में मानव भेजने से पहले सुरक्षा, स्थिरता और सिस्टम की विश्वसनीयता की जांच जरूरी होती है। ऐसे में इंसान की बजाय व्योममित्र को भेजा जा रहा है ताकि सभी तकनीकी और पर्यावरणीय स्थितियों का आकलन किया जा सके, बिना किसी मानव जीवन को जोखिम में डाले।

तकनीक और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

ISRO का यह कदम न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता का भी संकेत है। गगनयान मिशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। व्योममित्र के निर्माण से यह साफ हो गया है कि भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और अंतरिक्ष विज्ञान को एक साथ जोड़ने में सक्षम हो चुका है।

आगे की योजना

ISRO ने बताया है कि दिसंबर 2025 में व्योममित्र को लेकर गगनयान की पहली मानवरहित उड़ान की जाएगी। इसके बाद 2026 में दो और परीक्षण मिशन होंगे। अगर ये सभी परीक्षण सफल रहे, तो 2027 में भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे।

मिशन का राष्ट्रीय महत्व

यह मिशन सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है। व्योममित्र जैसे इनोवेशन यह दर्शाते हैं कि भारत आने वाले वर्षों में न केवल चंद्रमा और मंगल की ओर अग्रसर होगा, बल्कि अंतरिक्ष में दीर्घकालिक उपस्थिति बनाए रखने की क्षमता भी विकसित कर रहा है।

व्योममित्र भारत की अंतरिक्ष यात्रा का वह साथी है, जो दिखा रहा है कि भविष्य अब मानव और मशीन के सहयोग से ही गढ़ा जाएगा। यह केवल एक रोबोट नहीं, बल्कि एक ऐसा कदम है, जो भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में आगे ले जाएगा।

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