वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट करेगा 15 अप्रैल को सुनवाई

वक्फ बिल इन दिनों विवादों के बीच गिरा हुआ है | जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाए दायर हो चुकी है | जिसपे जल्द सुनवाई की मांग उठी है | सुप्रीम कोर्ट में भी वक्फ कानून को संवैधानिक वैधता चुनातिया देने वाली याचिकाओ पर सुनवाई की सहमति दे दी है |
वक्फ कानून पर 15 अप्रैल को सुनवाई हो सकती है | जिसके विरोध में 6 याचिकायों को दाखिल किया जा चूका है | सुप्रीम कोर्ट में भी वक्फ कानून को संवैधानिक वैधता चुनातिया देने वाली याचिकाओ पर सुनवाई की सहमति दे दी है |
जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य संगठनों की ओर से दाखिल याचिकाओ के समर्थन में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था की इन याचिकाओ पर जल्द से जल्द सुनवाई होने चाहिए | ओर इन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए |
इन छह याचिकाओं में इस्लामिक धर्मगुरुओं के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की याचिका भी शामिल है | जिन्होंने ने वक्फ बिल की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किये थे | इसके अलावा समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान की याचिका, कांग्रेस सांसद जावेद मोहम्मद की याचिका, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिकाएं शामिल हैं |
जेडीयू के मुस्लिम नेता और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी मोहम्मद परवेज़ सिद्दिकी भी वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेके पहुचे | हाजी मोहम्मद परवेज़ सिद्दिकी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं | उन्होंने कहा कि मैं लंबे अरसे से जेडीयू के लिए काम करता आ रहा हूं | मुझे समझ में नहीं आ रहा कि नीतीश कुमार ने किन परिस्थितियों में इस एक्ट का समर्थन किया जबकि हमने नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अपनी राय से वाकिफ करा दिया था | मैं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लडूंगा और जेडीयू में रहकर इस लड़ाई को ज़ारी रखूँगा |
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओ में धार्मिक स्वतंत्रता को लेके उसके उल्लघन का ज़िक्र किया गया है | और कहा गया है की यह विधेयक धार्मिक मामलों के प्रबंधन में स्वतंत्रता को प्रभावित करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत अल्पसंख्यक समुदायों को दी गई है | विशेष तौर पर , वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान और सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण देने की व्यवस्था को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप माना जा रहा है |
याचिका में दावा किया गया है की ये विधेयक समानता का उल्लघन करने वाला है | याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम करता है और संपत्तियों पर समुदाय के नियंत्रण को खतरे में डालता है |
बता दें संसद के दोनों सदनों से बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई | इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट,इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है |
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