Who-Fi: बिना कैमरे की जासूसी! क्या अब आपकी प्राइवेसी खतरे में है?

सोचिए, कोई आपकी हर हरकत पर नजर रख रहा है—वो भी बिना कैमरे, बिना माइक्रोफोन! डर गए? यही है Who-Fi टेक्नोलॉजी की असली ताकत, जो आजकल दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
AI ने इंसानी ज़िंदगी को जितना आसान बनाया है, उतना ही खतरनाक भी। अब पहचान के लिए चेहरे की तस्वीर नहीं चाहिए, कोई CCTV या बायोमीट्रिक स्कैनर नहीं लगेगा। अब सिर्फ Wi-Fi ही काफी है! जी हां, Who-Fi टेक्नोलॉजी के जरिए आपकी पहचान और गतिविधियों को महज़ Wi-Fi सिग्नल के ज़रिए ट्रैक किया जा सकता है—और आपको इसका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं होगा।
Who-Fi: ये करता क्या है?
Who-Fi एक उन्नत AI आधारित तकनीक है जो आपके शरीर की हलचल और मौजूदगी को Wi-Fi सिग्नलों के जरिये पकड़ लेती है। न कोई कैमरा, न कोई सेंसर—सिर्फ आपके आसपास का Wi-Fi!
ऑनलाइन जर्नल arXiv में छपे एक रिसर्च पेपर के अनुसार, यह टेक्नोलॉजी 2.4 गीगाहर्ट्ज Wi-Fi सिग्नल और एक ट्रांसफॉर्मर-बेस्ड न्यूरल नेटवर्क (AI मॉडल) का इस्तेमाल करती है। यह टेक्नोलॉजी सिग्नल में होने वाले बदलावों को पढ़ती है—जिसे ‘Channel State Information’ कहा जाता है।
कैसे? जैसे रडार या सोनार किसी ऑब्जेक्ट से टकराकर लौटने वाली तरंगों को पढ़ते हैं, वैसे ही जब कोई इंसान Wi-Fi सिग्नल के बीच में आता है, तो उसकी मौजूदगी सिग्नल में एक अलग पैटर्न बना देती है। ये पैटर्न आपकी पहचान बन जाता है—कुछ वैसा ही जैसा आपकी उंगलियों के निशान या आंख की पुतली।
क्या कर सकता है ये सिस्टम?
आपकी मौजूदगी को पहचान सकता है
आपकी हरकतों को ट्रैक कर सकता है
लंबे वक्त बाद आपकी पहचान फिर से कर सकता है
साइन लैंग्वेज तक समझ सकता है, यानी शरीर की बारीक मूवमेंट को डिकोड कर सकता है
और ये सब बिना कैमरे या माइक्रोफोन के!
इसके लिए बस चाहिए एक साधारण Wi-Fi ट्रांसमीटर और तीन रिसीवर एंटीना—यानी बेहद सस्ती, लेकिन जबरदस्त ताकतवर जासूसी टेक्नोलॉजी।
तो क्या खतरे में है हमारी प्राइवेसी?
बिलकुल! टेक्नोलॉजी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही चिंताजनक भी। क्योंकि अगर बिना कैमरे के ही कोई आपकी गतिविधियों को देख और समझ सकता है, तो आपकी प्राइवेसी किस हद तक सुरक्षित है?
Who-Fi की यह काबिलियत जहां एक ओर सुरक्षा एजेंसियों के लिए वरदान बन सकती है, वहीं आम लोगों के लिए यह एक नया सिरदर्द भी बन रही है।
अब सवाल यह है: क्या Wi-Fi अब सिर्फ इंटरनेट देने का जरिया है, या एक छिपा हुआ “निगरानी उपकरण”?
टेक्नोलॉजी तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन क्या हम प्राइवेसी की कीमत पर इसकी कीमत चुका रहे हैं? जवाब आपके हाथ में है।
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