भारत का एक अनोखा गांव जहा इशारों से नहीं बल्कि सीटी बजाकर एक दुसरे को बुलाते हैं लोग

भरत में एक अनोखा गांव हैं . जहा लोग एक दूसरे को नाम से नहीं बल्कि मधुर धुनों से बुलाते हैं. यह अनोखा गांव कोंगथोंग पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित हैं, जो मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 60 किमी दूर है.वही इस क्षेत्र को 'व्हिसलिंग विलेज' के नाम से जाना जाता हैं. इस गांव में रहने वालो की संख्या 700 हैं.गांव के सभी 700 लोगो के लिए अलग अलग धुनें बनाई गयी हैं. इस गांव को 2019 में, बिहार के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने गोद लिया हैं.
'व्हिसलिंग विलेज' में लोग एक दूसरे को इशारों से नहीं बल्कि सीटी बजा कर बुलाते हैं. गांव में सीटी बजा कर एक दूसरे को बुलाने की धुन को 'जिंगरवाई लवबी' बताया हैं. जिसका अर्थ होता हैं "माँ का प्रेम गीत " . वही आपको बता दे की , गांव के लोगो का एक नाम नहीं बल्कि दो नाम होता हैं. पहला नाम सामन्य नाम होता है और दूसरा नाम गाने से व उसकी मधुर धुन से जुड़ा होता हैं. वही गाने के नाम से भी व्यक्ति का दो नाम होता हैं. एक छोटा गाना होता हैं .दूसरा बड़ा और लंबा गाना होता हैं. छोटा गाना आमतौर पर लोगो के घर में इस्तेमाल किया जाता हैं. और लम्बे गाने का प्रयोग बाहरी लोगो के लिए किया जाता हैं.
कोंगथोंग गांव के निवासी फिवस्टार खोंगसित ने एएनआई से बात करते हुए बताया की गाने के धुन का निर्माण बच्चे के जन्म के तुरंत बाद माँ के द्वारा बनाया जाता हैं. जिससे लोगो को सम्बोधित करके पुकारा जाता हैं. फिवस्टार खोंगसित ने बात चीत के दौरान बताया की यदि गांव में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं तो व्यक्ति के साथ उसके नाम की धुन भी मर जाती हैं. गांव में लोग धुनों को दो तरह से उपयोग करते हैं जैसे लंबी धुन और बड़ी धुन. मेरी धुन मेरी मां ने बनाई थी. जो हमारे गांव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं. हमें नहीं पता कि इसकी शुरुवात कब हुई. लेकिन, सभी ग्रामीण इससे बहुत खुश हैं, " वही कोंगथोंग के दसूरे निवासी जिप्सन ने बताया की हमारे गांव में लोग एक दूसरे बात करने , पुकारने के लिए धुनों का इस्तेमाल करते हैं.
बच्चा पैदा होने पर मां बनाती हैं गाने की धुन
फिवस्टार खोंगसित ने बताया "हमारे गांव में लगभग 700 की आबादी हैं, इसलिए हमारे पास लगभग 700 अलग-अलग धुनें हैं.इन धुनों का उपयोग केवल संचार के लिए किया गया हैं, न कि उनके मूल नामों को बुलाने के लिए. एक नया बच्चा पैदा होने पर मां द्वारा धुन की रचना की जाती हैं . इस गांव की मान्यताओ के अनुसार एक नया बच्चा पैदा होने पर एक नया गीत पैदा होता हैं. यदि एक व्यक्ति मर जाता हैं तो उसका गीत या धुन भी मर जाएगी, उस गीत या धुन का फिर कभी उपयोग नहीं किया जाता हैं. यह परंपरा पारंपरिक रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं. हम इन प्रथाओं को जारी रख रहे हैं. उन्होंने बताया की पिछले साल, पर्यटन मंत्रालय ने देश के दो अन्य गांवों के साथ-साथ कोंगथोंग गांव यूएनडब्ल्यूटीओ के 'सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव' पुरस्कार का चयन किया गया हैं.
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