ड्राइवरों की जिद्द के आगे आखिर क्यों केंद्र सरकार को पड़ा झुकना ? क्या आगामी चुनाव है वजह ?

ऐसा पहली बार नही है जब केंद्र सरकार के कानून का पूरे देश भर में विरोध हो रहा हो , इससे पहले भी केंद्र सरकार ऐसे कई कानून ला चुकी है जिसे काफी विवादों का सामना करना है फिर चाहे वो एमएसपी हो या एनआरसी हो या कोई और लेकिन इन सभी कानूनो का काफी विरोध होने के बाद भी केंद्र सरकार टस से मास नहीं हो रही थी एमएसपी के मामले में तो सालों के बाद केंद्र सरकार ने कानून में संसोधन किया था और एनआरसी में तो टस से मस नही हुई थी तो आखिर इस बार इतनी जल्दी कैसे केंद्र सरकार वाहन चालकों के आगे झुक गई .ये बड़ा सवाल है ,तो इसके पीछे मुख्य वजह है आगामी लोकसभा चुनाव है
लोकसभा चुनाव के खातिर झुकी केंद्र सरकार
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार को हिट एंड रन के नए कानून पर रोक लगाना पड़ा है .क्योंकि अगर केंद्र सरकार इस नए कानून पर रोक नहीं लगाती तो आगामी लोकसभा चुनाव पर इसका सीधा असर पड़ता और केंद्र सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता .क्योंकि देश का बहुत बड़ा तबका वाहन चालकों से सम्बन्ध रखता है ऐसे में नाराज वाहन चालक लोकसभा चुनाव में अपना गुस्सा उतारते और केंद्र सरकार को सबक सिखाने का काम करते .
क्यों नए कानून के खिलाफ है वाहन चालक ?
हिट एंड रन के नए कानून को वाहन चालकों द्वार अस्वीकार करना और नये कानून के खिलाफ सड़क पर उतरने के पीछे मुख्य वजह है . केंद्र सरकार के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लाये गए हिट एंड रन के कानून में हिट एंड रन के दोषी ( बड़े वाहन चालकों ) को 10 साल की सज़ा और 7 लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है .जिसको लेकर सभी ट्रक ड्राइवर और बस ड्राइवर विरोध कर रहे थे . चालकों का कहना था कि कई बार सामने वाले की गलती से सड़क हादसे होते है लेकिन इस नए कानून के तहत किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलेगी . और वे इतने सम्पन्न नहीं है कि जुर्माने की राशि भर सकेंगे और उनके जेल जाने से उनके परिजन की देखरेख कौन करेगा . और ऐसा भी नहीं है कि भविष्य में कोई भी दुर्घटना घटित नहीं होगी . ऐसे में इस कानून के जरिये केंद्र सरकार उनसे उनकी रोजीरोटी छीनने का काम कर रही है
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