पेड़ों को स्वेटर पहनाने की है अनोखी रस्म


देश दुनिया में कई अलग अलग प्रकार की रीती रिवाज़ होते हैं और कई सारी अनोखी परम्पराएं होती हैं. जिनका पालन लोग अक्सर पूरी श्रद्धा और भाव के साथ करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में बताएँगे जो बेहद अजीब है लेकिन ऐसा करना बहुत ही अच्छी सोच को दर्शाता है. कई रस्में ऐसी होती हैं जो हमारे पर्यावरण को नुक्सान पहुंचती हैं. लेकिन जिस रस्म की बात आज हम करने जा रहे हैं जो पर्यावरण को ही सुरक्षित करने के लिए एक अनोखी पहल सी है.दरअसल एक जगह पर ठंडी के मौसम में पेड़ों को हाथ से बुने स्वेटर पहनाने की रस्म है. जो स्पर्यवारण को सुरक्षित रखने के लिए एक नयी और अनोख पहल सी है. अक्सर ठंडी के मौसम में लोग अपने लिए जैकेट और स्वेटर खरीदने लग जाते हैं ठंडी न लगे इसके लिए लोग दोहरे तहरे कपडे पहनते हैं. कई लोग पालतू जानवरों को भी ठण्ड के मौसम में ऊनि कपडे पहनते हैं तो कई लोग आवारा पशुओं को ही ठण्ड के मौसम में कपडे पहना देते हैं. हलाकि ये तो मनुष्य की मानवता को दर्शाता है. लेकिन पेड़ों को हाथों से बुने स्वेटर पहनना एक बेहद अलग बात हैं. आइये जान लेते हैं विस्तार से इस अनोखी रस्म के बारे में... 

एक पहल पेड़ के नाम..

बता दें की ये अनोखा काम सियोल में एक संस्था द्वारा किया जाता है. जोकी लोग अपने घरों में स्वेटर बुनते हैं और इन्हें पेड़ों पर पहनाते हैं. यह पहल केवल पेड़ों को सजाने के लिए नहीं, बल्कि उनके संरक्षण के लिए है. ठंड के मौसम में पेड़ों की छाल को नुकसान से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है. साथ ही, यह परंपरा पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक माध्यम भी है.

ये पहल हमे बहुत कुछ सिखाती हैं 

पेड़ों को स्वेटर पहनाने का यह प्रयास साउथ कोरिया में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को दर्शाता है. यह पहल हमें सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी हम प्रकृति की रक्षा कर सकते हैं. यह परंपरा दुनिया को यह संदेश देती है कि पेड़ों की देखभाल सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कर्तव्य भी है. यह पहल सिखाती है कि अगर हम पेड़ों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहें, तो प्रकृति भी हमें हमेशा कुछ न कुछ लौटाती रहेगी. 

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