मंदिर की सीढ़ियों पर बैठी शेरनी: आस्था का अद्भुत दृश्य या संयोग?


कल्पना कीजिए… एक शांत सुबह है। मंदिर की घंटियाँ बज रही हैं। हवा में अगरबत्ती की सुगंध घुली हुई है। श्रद्धालु दूर से दर्शन की आस में आ रहे हैं… और मंदिर की सीढ़ियों पर एक शेरनी ध्यानमग्न मुद्रा में बैठी है — मानो देवी स्वयं अपने वाहन पर विराजमान हों।

ऐसा ही एक दृश्य इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।कुछ सेकंड का एक वीडियो। कोई विशेष ध्वनि नहीं, कोई डर नहीं — सिर्फ़ एक शेरनी है, जो मंदिर के प्रवेशद्वार पर बैठी हुई है, जैसे किसी अज्ञात शक्ति के आदेश पर वहाँ रुकी हो। यह वीडियो सामने आया भारतीय वन सेवा के अधिकारी परवीन कासवान की ओर से, जिन्होंने इसे साझा करते हुए पूछा — "क्या आपने कभी ऐसा दृश्य देखा है?"

बस फिर क्या था… इंटरनेट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। किसी ने इसे देवी का चमत्कार कहा, किसी ने इसे प्रकृति की लीला। और बहुतों ने तो सीधे इसे नवरात्रि के अवसर से जोड़कर श्रद्धा से भर दिया।

वीडियो में स्थान का ज़िक्र नहीं है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि यह दृश्य गुजरात के गिर क्षेत्र के किसी मंदिर का हो सकता है — क्योंकि यही वह इलाका है जहाँ एशियाई शेर प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। और यदि यह सच है, तो यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि प्रकृति और आस्था का एक विलक्षण संगम है।

नवरात्रि के दौरान जब पूरा देश देवी दुर्गा की आराधना में लीन था, तब यह दृश्य सामने आया। देवी दुर्गा का वाहन शेर माना जाता है — ऐसे में बहुत से लोगों ने इसे दैवीय संकेत मान लिया। किसी ने लिखा, “माँ स्वयं अपने वाहन के साथ पधारी हैं”, तो किसी ने इसे "धरती पर चमत्कार" बताया।

लेकिन सवाल यह भी उठता है: क्या यह वास्तव में कोई चमत्कार था? या एक संयोग — जो हमारी श्रद्धा की आंखों से एक विशेष रूप में दिखने लगा?

यह भूलना नहीं चाहिए कि शेरनी जंगली जानवर है। अगर वह किसी धार्मिक स्थल तक पहुँच गई, तो यह वन्यजीव प्रबंधन के लिहाज़ से चिंता का विषय है। कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, यह राहत की बात है — लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी कि जंगल और इंसानी बस्तियों की सीमाएँ धुंधली हो रही हैं।

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