ऐसी जगहें जहां अजीब और अनोखे तरीके से मनाई जाती है दिवाली

भारत विविधताओं का देश है, जहां हर त्योहार अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों में अपने-अपने अंदाज में मनाया जाता है। दिवाली, जिसे आमतौर पर रोशनी, मिठाइयों और लक्ष्मी पूजा से जोड़ा जाता है, कुछ जगहों पर इतनी अलग तरह से मनाई जाती है कि जानकर आप हैरान रह जाएंगे।आइए जानते हैं भारत की कुछ ऐसी जगहों के बारे में, जहां दिवाली को बेहद अनोखे, अजीब और खास तरीकों से मनाया जाता है।
1. पश्चिम बंगाल – काली पूजा की रहस्यमयी रात
जब देशभर में लक्ष्मी माता की पूजा होती है, तब पश्चिम बंगाल में दिवाली की रात को माता काली की पूजा की जाती है। इसे काली पूजा कहा जाता है। इस पूजा में माता काली की विशाल मूर्तियां सजाई जाती हैं और देर रात तक तांत्रिक विधियों से पूजा-अर्चना होती है।कोलकाता के कुछ हिस्सों में यह पूजा श्मशान घाटों में भी होती है, जहां तांत्रिक परंपराओं के अनुसार मां काली की आराधना की जाती है। यह दिवाली रौशनी से ज्यादा भक्ति और रहस्य से जुड़ी होती है।
2. तमिलनाडु – सुबह-सुबह मनाई जाती है दिवाली
तमिलनाडु में दिवाली एक रात पहले ही शुरू हो जाती है। लोग तड़के सुबह उठते हैं और पारंपरिक तेल स्नान करते हैं, जिसे गंगास्नान के समान माना जाता है। उसके बाद नए कपड़े पहनकर पटाखे जलाए जाते हैं और खास भोजन परोसा जाता है।
यहां दिवाली का उत्सव सूरज निकलने से पहले ही पूरे जोश के साथ शुरू हो जाता है, और जब तक बाकी देश में दिवाली की तैयारियां चल रही होती हैं, यहां अधिकांश लोग त्योहार मना चुके होते हैं।
3. वाराणसी, उत्तर प्रदेश – देव दीपावली की दिव्य परंपरा
वाराणसी की दिवाली बाकी भारत से अलग होती है। यहां सामान्य दिवाली के करीब 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवता गंगा स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।इस अवसर पर गंगा के घाटों पर हजारों दीये जलाए जाते हैं, पूरे शहर को सजाया जाता है, और घाटों पर भव्य आरती होती है। यह नज़ारा इतना दिव्य होता है कि इसे देखने हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी पहुंचते हैं। यह दिवाली वास्तव में देवताओं के स्वागत का पर्व बन जाती है।
दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो हर कोने में रोशनी तो लाता ही है, साथ ही स्थानीय परंपराओं, विश्वासों और संस्कृति का भी उत्सव बन जाता है। भारत की यही विविधता इसे खास बनाती है. चाहे वह काली पूजा की रहस्यमयी रात हो, तमिलनाडु की सुबह-सुबह वाली दिवाली, वाराणसी की देवताओं वाली दिवाली हो या त्रिपुरा की लोक-परंपरा से जुड़ी दीपावली – हर जगह की दिवाली कुछ कहती है, कुछ अलग दिखती है।
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