झारखंड में स्थित हैं तांत्रिक विद्या के लिए दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ

तांत्रिक विद्या के लिए जाना जाने वाला भारत का सबसे पहला शक्तिपीठ असम में स्थित हैं. जिसको कामख्या माँ के मंदिर के नाम से जाना जाता हैं . वही अगर दुसरे बड़े तांत्रिक विद्या शक्तिपीठ की बात करे तो, वह झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित हैं.जिसको माँ छिन्नमस्तिका मंदिर के नाम से जाना जाता हैं.बता दे की, माँ छिन्नमस्तिका के मंदिर में बिना सर वाली देवी माँ की अराधना की जाती हैं. इस मन्दिर में दो नदियों का संगम हैं, जहां उत्तर वाहिनी भैरवी नदी दामोदर नदी में मिलती हैं.वहीं इसके चारो और जंगल हैं. यहां हजारों की संख्या में लोग पूजा पाठ करने के लिए आते हैं
तांत्रिक विद्या के लिए जाना जाने वाला भारत का सबसे पहला शक्तिपीठ असम में स्थित हैं. जिसको कामख्या माँ के मंदिर के नाम से जाना जाता हैं . वही अगर दुसरे बड़े तांत्रिक विद्या शक्तिपीठ की बात करे तो, वह झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित हैं.जिसको माँ छिन्नमस्तिका मंदिर के नाम से जाना जाता हैं.बता दे की, माँ छिन्नमस्तिका के मंदिर में बिना सर वाली देवी माँ की अराधना की जाती हैं. इस मन्दिर में दो नदियों का संगम हैं, जहां उत्तर वाहिनी भैरवी नदी दामोदर नदी में मिलती हैं.वहीं इसके चारो और जंगल हैं. यहां हजारों की संख्या में लोग पूजा पाठ करने के लिए आते हैं
इस मंदिर में देवी छिन्नमस्तके नग्न अवस्था में प्रेम के देवता कामदेव और प्रेम की देवी रति के ऊपर कमल पर खड़ी हुई हैं . माँ छिन्नमस्तके के गर्दन से रक्त की तीन धाराएं भी बह रही हैं और देवी माँ के दाहिने हाथ में हथियार हैं,वही बाएं हाथ में माँ छिन्नमस्तके का सर हैं.मंदिर अपनी तांत्रिक शैली और क्रियाओं के लिए  मशहूर हैं. दुनिया भर के लोग यहाँ तांत्रिक सिद्धि पाने के लिए आते हैं.


छिन्नमस्ता देवी की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त करने के लिए की जाती हैं.  बता दे की ,यहाँ तंत्र-मंत्र कि क्रियाओं से लोग माँ की पूजा करने आते हैं.वही बलि चढ़ाकर और तंत्र साधना के जरिए भक्‍त अपनी चाहतो को पूरा करते हैं. साथ ही इस मंदिर में रोजाना सैकड़ो बकरो की बलि भी दी जाती हैं.
इस मंदिर में देवी छिन्नमस्तके नग्न अवस्था में प्रेम के देवता कामदेव और प्रेम की देवी रति के ऊपर कमल पर खड़ी हुई हैं . माँ छिन्नमस्तके के गर्दन से रक्त की तीन धाराएं भी बह रही हैं और देवी माँ के दाहिने हाथ में हथियार हैं,वही बाएं हाथ में माँ छिन्नमस्तके का सर हैं.मंदिर अपनी तांत्रिक शैली और क्रियाओं के लिए मशहूर हैं. दुनिया भर के लोग यहाँ तांत्रिक सिद्धि पाने के लिए आते हैं. छिन्नमस्ता देवी की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त करने के लिए की जाती हैं. बता दे की ,यहाँ तंत्र-मंत्र कि क्रियाओं से लोग माँ की पूजा करने आते हैं.वही बलि चढ़ाकर और तंत्र साधना के जरिए भक्‍त अपनी चाहतो को पूरा करते हैं. साथ ही इस मंदिर में रोजाना सैकड़ो बकरो की बलि भी दी जाती हैं.

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