लखनऊ के 2000 साल पुराने काली मंदिर का रहस्य !!
राजधानी लखनऊ में पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व वाले कई देवी मंदिर हैं. इन प्राचीन मंदिरों में नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. इनमें पुराने लखनऊ के चौक स्थिति बड़ी काली मंदिर बेहद अहम है. चौक की तंग गलियों से होकर सीढ़ी चढ़ते हुए इस मंदिर में प्रवेश करना अपने आप में एक ही एक अलग एहसास कराता है. कहा जाता है कि ये भारत का एकमात्र ऐसा देवीस्थल है, जहां मां लक्ष्मी और नारायण के स्वरूप में बड़ी काली जी की पूजा होती है. इस मंदिर की बेहद मान्यता है. मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने 2400 वर्ष से अधिक पूर्व की थी. हजारों वर्षों बाद भी इस मंदिर का स्वरूप वैसा ही है. गर्भगृह में विराजमान देवी मां के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ पूरे साल उमड़ी रहती है. नवरात्रि में तो यहां पैर रखने की जगह भी मुश्किल से मिलती है. इस मंदिर का संचालन बोधगया मठ से होता है. मान्यता है कि जो भी भक्त 40 दिन आकर यहां माता के दर्शन करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर में अष्टधातु मूर्ति बेहद प्राचीन और खास है. यह मूर्ति देखने में अर्धनारीश्वर है. इसमें भगवान ने धोती और जनेऊ पहन रखी है और उनके माथे पर बिंदी और श्रृंगार किया जाता है. लक्ष्मी नारायण की इस मूर्ति को अष्टमी और नवमी के दिन ही भक्तों के दर्शन के लिए निकाला जाता है. इस तरह श्रद्धालु साल में केवल चार बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को इस मूर्ति के दर्शन कर पाते हैं.
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