टीबी (Tuberculosis) की पूरी जानकारी | डॉ विवेक कुमार यादव से ज़रूरी बातचीत


टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसे अक्सर लोग सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह एक गंभीर संक्रामक रोग है जो सही समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा साबित हो सकता है। टीबी सिर्फ खांसी या बुखार नहीं है, बल्कि यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है और फैलने की ताकत रखता है। टीबी के संक्रमण को समझना, इसके लक्षणों को पहचानना और तुरंत उपचार कराना बेहद जरूरी है, ताकि इस बीमारी से बचा जा सके ...ऐसे में इसी विषय में और अधिक जानने के लिए हमने बात की उत्तर प्रदेश के जाने-माने रेडियोलॉजिस्ट, सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर लखनऊ के डायरेक्टर, डॉ. विवेक कुमार यादव से ...  चलिए जानते है उन्होंने क्या कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दीं ...

1. टीबी क्या है?

डॉ. विवेक कुमार यादव ने बताया कि टीबी (Tuberculosis) एक ऐसी बीमारी है जो बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। भारत और विश्व में ज्यादातर माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया से होती है। यह संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है, जब कोई टीबी रोगी खांसता या छींकता है तो एयर में बैक्टीरिया के छोटे कण उड़ते हैं, जिन्हें सांस के जरिए हमारे फेफड़ों में जाना होता है और वहां संक्रमण होता है।

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2. टीबी बीमारी आखिर क्यों हो जाती है?

रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक कुमार यादव के मुताबिक टीबी रोगी के खांसने या छींकने से एरोसोल ड्रॉपलेट बनते हैं जिसमें बैक्टीरिया होते हैं। आसपास के लोग इन्हें सांस के जरिए अपने फेफड़ों तक ले जाते हैं और वहां यह संक्रमण फैलाता है।

3. टीबी क्या सिर्फ फेफड़ों में हो सकती है या शरीर के अन्य अंगों में भी? कितने प्रकार की होती है?

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के डॉ. विवेक कुमार यादव का इस बारे में कहना था कि टीबी शरीर के लगभग किसी भी हिस्से में हो सकती है। फेफड़ों के अलावा दिमाग (ब्रेन ट्यूबरक्लोसिस, मेनिन्जाइटिस), थ्रोट, किडनी, इंटेस्टाइन, पेट, हड्डी (ऑस्टियोमाइलाइटिस), रीढ़ की हड्डी (पॉट स्पाइन) आदि में हो सकती है।इस प्रकार टीबी कई प्रकार की होती है, जो संक्रमण के स्थान पर निर्भर करती है।

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4. टीबी के मुख्य लक्षण क्या होते हैं?

डॉ. विवेक कुमार यादव ने विस्तार से बताया कि फेफड़ों की टीबी में: लगातार खांसी, बुखार, खांसी के साथ बलगम में खून आना, वजन कम होना।

ब्रेन टीबी (मेनिन्जाइटिस) में: तेज बुखार, प्रोजेक्टाइल वॉमिटिंग, झटके आना।

स्पाइन टीबी में: पीठ दर्द, उस हिस्से में संवेदनशीलता या सुन्नता, बुखार।

5. टीबी की जांच कब करानी चाहिए?

टीबी की जांच के विषय में डॉ. विवेक कुमार यादव ने कहा कि  अगर तीन हफ्ते या उससे अधिक समय तक खांसी बनी रहे, बुखार रहता हो और वजन अचानक घटे तो टीबी जांच करानी चाहिए। खासकर अगर खांसी के साथ बलगम में खून भी आ रहा हो। सामान्य सर्दी-जुकाम एक से डेढ़ हफ्ते में ठीक हो जाता है।

6. टीबी का इलाज कितना लंबा चलता है और इसका साइड इफेक्ट?

टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है। इलाज डॉट्स थैरेपी के जरिए किया जाता है, जिसमें कई दवाओं का संयोजन होता है। आमतौर पर इलाज 6-9 महीने तक चलता है। ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी में इलाज लंबा हो सकता है, 8-12 महीने या उससे भी अधिक। साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन सही इलाज जरूरी है।

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7. अगर टीबी का इलाज बीच में छोड़ दिया जाए तो क्या होगा?

इस गंभीर सवाल पर डॉ. विवेक कुमार यादव ने स्पष्ट कर दिया कि इलाज बीच में छोड़ना बहुत खतरनाक होता है। इससे मल्टी ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी हो सकती है, जिसका इलाज बहुत मुश्किल और लंबा होता है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए इलाज पूरा करना बेहद जरूरी है।

8. मल्टी ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी क्या है?

डॉ. विवेक कुमार यादव ने कहा अगर बैक्टीरिया रिफेमसिन और आइसोनियाजिड जैसी मुख्य दवाओं के लिए रेजिस्टेंट हो जाता है, तो इसे मल्टी ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी कहते हैं। एक्स्ट्रा-ड्रग-रेजिस्टेंट (XDR)टीबी में और भी दवाओं के लिए रेजिस्टेंट हो जाती है। इसका इलाज अलग और कठिन होता है।

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9. टीबी से बचाव के उपाय क्या हैं?
डॉ. विवेक कुमार यादव ने साफ तौर पर कहा कि टीबी मरीज और उनके संपर्क में आने वाले दोनों को मास्क पहनना चाहिए।
मास्क पतला, गमछा या हैंकी भी हो सकता है।
अपनी इम्यूनिटी मजबूत रखें।
कच्चा दूध न पिएं क्योंकि इससे माइकोबैक्टीरियम बोविस के जरिए संक्रमण हो सकता है।
इलाज पूरा करें ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

10. खांसी-जुकाम और टीबी में कैसे फर्क करें?

सर्दी-जुकाम 7-10 दिन में ठीक हो जाता है।
टीबी में तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी रहती है।
टीबी में शाम को बुखार, वजन घटना और खांसी के साथ बलगम में खून आना हो सकता है।

11. बलगम टेस्ट की भूमिका क्या है?

डॉ. विवेक कुमार यादव के मुताबिक बलगम टेस्ट टीबी की डायग्नोसिस का गोल्ड स्टैंडर्ड है। एक्सरे में टीबी के निशान दिख सकते हैं, लेकिन बलगम में बैक्टीरिया पाए जाने पर ही 100% पुष्टि होती है कि टीबी है।

12. एक्सरे और सीटी स्कैन कैसे मदद करते हैं?

डॉ. विवेक कुमार यादव ने इसको स्पष्ट करते हुए कहा कि एक्सरे में फेफड़ों में कैविटी या घाव दिख सकते हैं।सीटी स्कैन ज्यादा स्पष्ट और डिटेल में लंग टिश्यूज की स्थिति दिखाता है।

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13. जीन एक्सपर्ट टेस्ट क्या है?

डॉ. विवेक कुमार यादव ने इस बारे में बताया कि यह एक मॉलिक्यूलर टेस्ट है जो बैक्टीरिया के DNA को जांच कर 2 घंटे में टीबी का पता लगाता है। यह जल्दी और भरोसेमंद तरीका है, जो ड्रग रेजिस्टेंस की जानकारी भी देता है।

देखा जाए तो वाकई टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसे सही जानकारी, समय पर जांच और पूरी तरह से इलाज कराने से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हम इसके लक्षणों को समझें, डरें नहीं बल्कि जागरूक हों, और इलाज में कोई कसर न छोड़ें। टीबी से बचाव के सरल उपाय अपनाकर और सामाजिक समर्थन देकर हम इस बीमारी को मात दे सकते हैं। याद रखें, इलाज अधूरा छोड़ना खतरा बढ़ाता है, लेकिन सही इलाज से स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ना संभव है। आइए, साथ मिलकर टीबी मुक्त भारत की दिशा में कदम बढ़ाएं।


तो अगर आप भी कराना चाहते हैं , कोई टीबी या कोई भी जांच सटीकता के साथ तो सोचना क्या सम्पर्क करें 

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नॉस्टिक्स

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