बोगस डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग तेज

गडचिरोली : तालुका वैद्यकीय अधिकारी के निर्देशानुसार एटापल्ली तालुका की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीण और दुर्गम भागों में सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि करीब 20 डॉक्टर बोगस (फर्जी) हैं, जिनके पास कोई भी मान्यताप्राप्त वैद्यकीय शिक्षण (मेडिकल डिग्री) नहीं है। अब सवाल यह है कि इन बोगस डॉक्टरों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग क्या सख्त कार्रवाई करता है, इस पर पूरे जिले के नागरिकों की नजरें टिकी हैं।

आदिवासीबहुल क्षेत्र और बोगस डॉक्टरों का बोलबाला

एटापल्ली तालुका आदिवासीबहुल और अत्यंत दुर्गम भूभाग में फैला हुआ है। यहां अनेक गांव घने जंगलों और नदियों-नालों के बीच बसे हुए हैं। साक्षरता दर भी अपेक्षाकृत कम है। ऐसी स्थितियों में सरकारी आरोग्य सेवा (स्वास्थ्य सेवाएं) हर गांव तक नहीं पहुंच पाती, जिसका गंभीर फायदा बोगस डॉक्टर उठाते हैं। ये फर्जी डॉक्टर न केवल बिना किसी मेडिकल योग्यता के इलाज करते हैं, बल्कि गंभीर बीमारियों पर भी स्वयं को विशेषज्ञ बताकर इलाज शुरू कर देते हैं। जब मरीज की हालत अत्यंत नाजुक हो जाती है, तब उन्हें सरकारी अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। कई मामलों में मरीज की मौत हो जाती है।

कार्रवाई में लापरवाही – सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग

ऐसे डॉक्टरों पर कानूनी कार्रवाई के स्पष्ट नियम मौजूद हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। हालांकि एटापल्ली के तालुका वैद्यकीय अधिकारी ने हिम्मत दिखाते हुए इन बोगस डॉक्टरों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी, जिससे यह खुलासा हुआ। अब मांग की जा रही है कि ऐसी ही कार्यवाही जिले के अन्य तालुकों में भी होनी चाहिए, क्योंकि बोगस डॉक्टर केवल एटापल्ली तक सीमित नहीं हैं, बल्कि गडचिरोली जिले के हर तालुके में इनकी भरमार है।

सिर्फ एटापल्ली ही क्यों? बाकी तहसीलो में कार्रवाई कब?

यह सवाल अब आम नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के मन में गूंज रहा है कि जब एटापल्ली में इतनी बड़ी संख्या में फर्जी डॉक्टर पाए जा सकते हैं, तो क्या अन्य तालुके इससे अछूते हैं? गडचिरोली, अहेरी, भामरागड, सिरोंचा, कोरची, धनोरा, चामोर्शी इत्यादि तालुकों में भी इनका जाल फैला हुआ है, लेकिन वहां इस दिशा में कोई ठोस जांच नहीं हो रही।

जिला प्रशासन से सख्त आदेश की मांग

अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को सभी तालुका स्वास्थ्य अधिकारियों को स्पष्ट और कठोर आदेश जारी करने चाहिए, ताकि पूरे जिले में बोगस डॉक्टरों के खिलाफ एक समांतर और व्यापक मुहिम चलाई जा सके।

सिर्फ दिखावटी कार्रवाई नहीं, चाहिए कठोर सजा

अब तक जो भी कार्रवाई हुई है, वह केवल थातूरमातूर (सांकेतिक) साबित हुई है। बोगस डॉक्टरों को केवल चेतावनी देकर छोड़ देना या जुर्माने की खानापूर्ति करना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। अब समय आ गया है कि इन पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए – जैसे कि FIR दर्ज करना, जेल भेजना, और जनता को इनके खिलाफ जागरूक करना।

अगर आपके गांव में या आसपास कोई ऐसा व्यक्ति डॉक्टर की तरह इलाज करता है, लेकिन उसके पास कोई सरकारी मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है – तो तुरंत इसकी सूचना नजदीकी प्राथमिक आरोग्य केंद्र (PHC) या पुलिस थाने में दें। यह आपके और आपके परिवार की जान बचा सकता है

रिपोर्टर : श्रीकांत गद्देवार

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