रेती माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की मांग – विजय खरवडे ने प्रशासन को सौंपी लिखित तक्रार

 गडचिरोली : गडचिरोली तालुका के आंबेशीवणी, बामणी सहित आसपास के अनेक गांवों में “शेतातील रेती व गाळ उपसा” (खेतों में जमा रेत निकालने) के नाम पर सीधे नदीपात्र से अवैध रेत खनन किया जा रहा है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय लोक न्यास आंदोलन के जिलाध्यक्ष विजय खरवडे ने प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है। खरवडे ने बताया कि कुछ रेत माफिया स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से किसानों को भ्रमित कर उनके खेतों के नाम पर अनुमति लेकर सीधे नदी के भीतर से रेत निकालकर भारी वाहनों के माध्यम से काले बाजार में बिक्री कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरा कार्य राजस्व विभाग की जानबूझकर की गई अनदेखी के कारण संभव हो पाया है।

उन्होंने कहा कि पिछली वर्ष की जांच में भी यह अवैध रेत उत्खनन सामने आया था, जहां ठेकेदारों और अधिकारियों ने मिलकर लगभग दीढ़ लाख ब्रास रेत अवैध रूप से निकालकर बेची थी।

जांच दल नियुक्त करने की मांग

विजय खरवडे ने मांग की है कि विभागीय आयुक्त कार्यालय की ओर से एक विशेष महसूल जांच पथक (राजस्व जांच दल) की नियुक्ति की जाए, जो यह जांच करे कि खेतों में दिखाया गया रेत व गाद वास्तव में उतना ही है या नहीं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्वीकृत खेत पर वीडियो कैमरे के माध्यम से निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेत उत्खनन अनुमति सीमा के भीतर ही हो।

कड़े दंड की मांग

राष्ट्रीय लोक न्यास आंदोलन की मांग है कि यदि किसी ठेकेदार या माफिया द्वारा नदीपात्र से अवैध रेत निकालकर बेची जाती है, तो उनके खिलाफ तात्कालिक दंडात्मक और फौजदारी कार्यवाही की जाए। साथ ही ऐसे मामलों में महसूल विभाग के संबंधित अधिकारी और कर्मचारी भी समान रूप से जिम्मेदार ठहराए जाएं।

विजय खरवडे ने कहा कि नदीपात्र की रेत जनता की संपत्ति है, किसी की निजी मालगुजारी नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने अब भी इस अवैध धंधे पर अंकुश नहीं लगाया, तो राष्ट्रीय लोक न्यास आंदोलन (अण्णा हजारे प्रेरित) संगठन द्वारा अक्टूबर 2025 से लेकर जून 2026 तक पूरे नदीपात्र क्षेत्र में सतत निगरानी अभियान चलाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस विषय में जिल्हाधिकारी गडचिरोली को लिखित निवेदन सौंपा गया है और यह प्रकरण राज्य के मुख्यमंत्री, महसूल मंत्री, सहपालक मंत्री, अप्पर प्रधान मुख्य सचिव (महसूल) व विभागीय आयुक्त तक पहुंचाया जाएगा।

रिपोर्टर : चंद्रशेखर पुलगम 

 

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