IVF की सफलता Guaranteed ऐसे होगी संभव
जब ज़िंदगी ठहर-सी जाती है, तो उम्मीद की एक किरण सब कुछ बदल सकती है। और आज हम बात करने जा रहे हैं उस विज्ञान की, जिसने न जाने कितने घरों को रोशनी दी — आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की। ये सिर्फ एक तकनीक नहीं, हज़ारों अधूरे सपनों को पूरा करने वाली क्रांति है।"मगर आज के समय में भी आईवीएफ को लेकर तमाम तरीके के सवाल हमारे मन में होते हैं। जिसमें एक बड़ा सवाल है कि आईवीएफ की सफलता किन-किन बातों पर निर्भर करती है? इसके लिए हमें क्या करना चाहिए? क्या-क्या फैक्टर हैं, जिनका ध्यान रखना ज़रूरी है। इसलिए इस जरूरी विषय पर चर्चा बहुत आवश्यक है। और इस महत्वपूर्ण विषय पर हमने देश की जानी-मानी गायनेकोलॉजिस्ट, आईवीएफ एक्सपर्ट और दीवा आईवीएफ लखनऊ की डायरेक्टर डॉक्टर वैशाली जैन से खास बात चीत की ..
आईवीएफ की सफलता किन कारकों पर निर्भर करती है?

आईवीएफ एक्सपर्ट और दीवा आईवीएफ लखनऊ की डायरेक्टर डॉक्टर वैशाली जैन के मुताबिक , अगर हम आईवीएफ के सक्सेस रेट की बात करें तो ग्लोबली और इंडिया में भी 50% से 70% तक सक्सेस रेट माना गया है, विद एन एवरेज ऑफ़ 40%। तो कहीं न कहीं बहुत सारे कारण हैं जो उसकी सफलता को डिसाइड करते हैं। मैटरनल फैक्टर्स हो सकते हैं, या पुरुष में कोई दिक्कत हो तो वो फैक्टर्स हो सकते हैं। स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी कैसी है, अंडाणु की क्वालिटी और क्वांटिटी कैसी है — वह निर्भर करता है। इसके अलावा इनफर्टिलिटी का कारण क्या है? ट्यूब्स बंद हैं या कोई और कारण है? कितने सालों से इनफर्टिलिटी है? जीवनशैली, वजन — ये सारे फैक्टर्स भी आईवीएफ के सक्सेस को डिफाइन करते हैं।
उम्र का आईवीएफ में क्या रोल है?

डॉक्टर वैशाली जैन का इस बारे में कहना था कि उम्र का बहुत इंपॉर्टेंट रोल है। खासकर महिलाओं की। जैसे ही महिला की उम्र बढ़ती है, खासकर 35 साल के बाद, धीरे-धीरे एग की क्वालिटी और क्वांटिटी कम होने लगती है और इससे जो भ्रूण बनते हैं, वो वीक होते हैं। तो सक्सेस रेट ड्रास्टिकली कम हो जाता है। अगर प्लान कर रहे हैं, तो 35 से पहले करें, डेफिनेटली।
अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता का क्या महत्व है?
देश की जानी-मानी गायनेकोलॉजिस्ट डॉ वैशाली जैन ने बताया कि , 100% सफलता इसी पर निर्भर करती है। अगर अंडाणु और शुक्राणु अच्छे नहीं हैं, तो हमें जो भ्रूण मिलेगा वो वीक होगा। और वीक भ्रूण या तो डेवलप नहीं होगा या इंप्लांटेशन नहीं हो पाएगा। इसलिए दोनों की गुणवत्ता बहुत अहम है।
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बॉडी वेट और जीवनशैली का क्या रोल होता है?
डॉ वैशाली जैन ने इस बारे में विस्तार से बाताया कि , एक्सेस ऑफ एवरीथिंग इज़ बैड। वजन कम है तो भी दिक्कत, ज्यादा है तो भी दिक्कत। ज्यादा वजन हॉर्मोनल इम्बैलेंस करता है, जिससे अंडे नहीं बनते या उनकी क्वालिटी खराब होती है। साथ ही ओबीज़ लोगों में मेडिकल कॉम्प्लिकेशन ज्यादा होते हैं। बेहोशी, प्रेगनेंसी में भी दिक्कतें आ सकती हैं। स्ट्रेस, नींद की कमी, और खराब जीवनशैली से भी हार्मोनल बदलाव होते हैं, जैसे कोर्टिसोल का रिलीज होना, जो एग, स्पर्म और एम्ब्रियो की क्वालिटी को प्रभावित करता है।
डॉक्टर और क्लिनिक का कितना महत्व होता है?
दीवा आईवीएफ लखनऊ की डायरेक्टर डॉक्टर वैशाली जैन का कहना था कि इसका महत्व बहुत ज्यादा होगा है .उन्होने कहा कि आपको एक्सपीरियंस वाला आईवीएफ स्पेशलिस्ट चुनना चाहिए जो पारदर्शिता और एथिकल तरीके से काम करता हो। क्लिनिक को फॉल्स प्रॉमिस नहीं देना चाहिए। हर पेशेंट अलग होता है, इसलिए इंडिविजुअलाइज्ड ट्रीटमेंट जरूरी है। सही चुनाव, सही समय, और सही डॉक्टर का चयन आपकी सफलता तय करता है।
पेशेंट कैसे डिसाइड करे कि कौन सा क्लिनिक सही है?
डॉ वैशाली जैन के मुताबिक , माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी बहुत इंपॉर्टेंट होती है। अगर आसपास किसी को रिजल्ट मिला है, तो वो एक अच्छा संकेत है। जब आप डॉक्टर से मिलते हैं तो समझ आता है कि वो आपकी दिक्कत को कितनी गंभीरता से समझ रहे हैं। जब आप मेंटली सेटिस्फाइड हों तभी फैसला लें।

पुरुष और महिला को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डॉ वैशाली जैन ने इस बारे में बताया कि सबसे पहले तो नकारात्मक सोच हटा दें, तनाव कम करें, पॉजिटिव सोचें। डॉक्टर की बताई दवाएं, इंजेक्शन समय पर लें, एक्सरसाइज और डाइट को फॉलो करें। डॉक्टर की सलाह को पूरा फॉलो करें।
नई तकनीकों जैसे ICSI, लेजर हैचिंग, एम्ब्रियो फ्रीजिंग का क्या रोल है?
आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ वैशाली जैन हर तकनीक का एक इंडिकेशन होता है। पीसीओडी में एम्ब्रियो ज्यादा बनते हैं, तो फ्रीजिंग से OHSS से बचा जा सकता है। ICSI का उपयोग तब करते हैं जब मेल फैक्टर सीवियरली अफेक्टेड होता है। लेजर हैचिंग तब करते हैं जब रिजल्ट नहीं मिल रहे होते या अंडाणु की झिल्ली मोटी हो। लेकिन हर पेशेंट को हर तकनीक की जरूरत नहीं होती।
अगर पहला आईवीएफ फेल हो जाए तो आगे क्या करें?
आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ वैशाली जैन के मुताबिक उनका साफ कहना था कि आईवीएफ अंत है। अगर पहला फेल हो गया तो प्रोटोकॉल चेंज करें, और टेस्ट कराएं, टेक्निक बदलें। कभी-कभी दो या तीन साइकिल भी करनी पड़ती हैं। अगर फिर भी नहीं होता तो डोनर एग/स्पर्म या सरोगेसी या एडॉप्शन जैसे विकल्प होते हैं।

मानसिक रूप से मजबूत रहना कितना जरूरी है?
डॉ वैशाली जैन ने इसे बहुत जरूरी बताया इसके लिए काउंसलिंग, योगा, मेडिटेशन, सपोर्ट ग्रुप, फैमिली सपोर्ट जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव, एडिक्शन छोड़ना, और पॉजिटिव सोच रखना बहुत मददगार है।
आईवीएफ से जुड़े मिथक कैसे तोड़ें?
डॉ वैशाली जैन का इस विषय में साफ कहना था कि "इससे लड़का होगा" — ये गैरकानूनी है। "100% सक्सेस रेट" — झूठ है। "हमेशा ट्विन्स होंगे" — ज़रूरी नहीं, आजकल सिंगल एम्ब्रियो ट्रांसफर हो रहा है। "आईवीएफ के बच्चे नॉर्मल नहीं होते" — ये भी मिथक है, ये बच्चे नॉर्मल होते हैं, थोड़ी हाई रिस्क प्रेगनेंसी हो सकती है लेकिन बच्चे सामान्य होते हैं।
पारंपरिक सोच का क्या असर पड़ता है?
डॉ वैशाली जैन ने कहा कि पारंपरिक सोच की वजह से लोग देर से आते हैं। 15 साल से कोशिश कर रहे हैं, अब उम्र 40 पार है तो सफलता के चांस कम हो जाते हैं। नेचुरल नहीं है, ये सोच गलत है — जब ज़रूरत हो तो हेल्प लेनी चाहिए।
कुछ ऐसे पेशेंट आए जो बेहद भ्रम में हों?
इस विषय में डॉ वैशाली जैन ने अपना अनुभव साझा किया और कहा कि बहुत से पेशेंट्स आते हैं जो सेकेंड बच्चा चाहते हैं जबकि पहला है। ऐसे में हमें बताना पड़ता है कि शायद जरूरत नहीं है। एक पेशेंट आई थी जिसकी बच्चेदानी की लाइनिंग खत्म हो चुकी थी उसे मना करना पड़ा। जहां उम्मीद है वहां ट्राई जरूर करना चाहिए, लेकिन झूठी उम्मीद नहीं देना चाहिए।
देखा जाए तो आईवीएफ की सफलता सिर्फ मेडिकल ट्रीटमेंट पर नहीं बल्कि उम्र, जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और सही मार्गदर्शन पर निर्भर करती है। अगर आप या आपके परिचित आईवीएफ की यात्रा से गुजर रहे हैं तो धैर्य रखें। सही जानकारी लें और डॉक्टर की सलाह पर भरोसा रखें।"आईवीएफ कोई आसान सफर नहीं है — ये एक भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक यात्रा है। लेकिन सही जानकारी, सही डॉक्टर और सही समय पर लिया गया फैसला इस मुश्किल रास्ते को भी उम्मीद की मंज़िल तक पहुंचा सकता है...तो अगर आप भी आईवीएफ के सफर में बढना चाहते है साथ तो संपर्क करें -
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Dr. Vaishali Jain
DIVA IVF N FERTILITY CLINIC (उम्मीद से खुशियों तक)
B-1/45 SECTOR-J ,ALIGANJ,OPP RBI COLONY, Lucknow
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