सुनील साहू ने पहले ही इंटरनेशनल गेम में भारत के लिए रचा इतिहास

कोटा - सुनील साहू ने पहले ही इंटरनेशनल गेम में भारत के लिए रचा इतिहास किया राजस्थान का नाम रोशन मालाखेड़ा के पैरा एथलीट ने विदेशों के बीच चमकाया तिरंगा, अब लक्ष्य पैरा ओलंपिक गोल्डराजस्थान के अलवर जिले के छोटे से गाँव मालाखेड़ा के रहने वाले सुनील कुमार साहू ने अपने पहले ही अंतरराष्ट्रीय खेल मुकाबले में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। सुनील ने यह उपलब्धि 7th इंडियन ओपन इंटरनेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में हासिल की, जो श्री कांटेरावा इंडोर स्टेडियम में बेंगलुरु स्टेडियम में आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में मलेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, फिलीपींस समेत कई देशों के पैरा एथलीट्स ने भाग लिया। सुनील ने लॉन्ग जंप प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया। सिर्फ मेहनत नहीं, बलिदान की मिसाल है यह जीतसुनील की यह जीत महज़ एक खिलाड़ी की उपलब्धि नहीं, बल्कि संघर्ष, बलिदान और अटूट सपनों की कहानी है। सुनील बताते हैं,“मेरा सपना आर्मी में जाकर देश की सेवा करना था, लेकिन एक हादसे ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। दो साल बिस्तर पर रहा। भाई, पापा और बहन — तीनों का देहांत हुआ। हमारी आइसक्रीम फैक्ट्री भी बंद हो गई। ऐसे समय में मेरी माँ ने झाड़ू-पोछे, बेलदारी जैसे काम कर घर चलाया। उसी माँ के संघर्ष को देख मैंने ठान लिया — अब देश का नाम रोशन करना ही मेरा धर्म है।” सुनील ने 2018 से कोटा में रहकर निरंतर ट्रेनिंग की। उन्होंने त्योहार, शादी-ब्याह सब छोड़ दिए और खुद को केवल खेल के लिए समर्पित कर दिया। उनके कोच तरुण शर्मा, अजीत सिंह राठौड़ और सबल प्रताप सिंह ने उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से तैयार किया। राजस्थान से राष्ट्रीय स्तर तक और अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक सुनील अब तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 6 मेडल जीत चुके हैं (लगातार 5 बार राजस्थान का प्रतिनिधित्व) राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 11 मेडल, खेलो इंडिया में सिल्वर मेडल और पिछले तीन वर्षों में कुल 18 मेडल, जिनमें से 11 गोल्ड मेडल शामिल हैं। अब अगला सपना पैरा ओलंपिक गोल्ड सुनील का अगला लक्ष्य है — पैरा ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना। उनका कहना है, "यह मेडल असल में मेरी माँ का है। उनकी मेहनत, आशीर्वाद और बलिदान ने मुझे आज इस मुकाम पर पहुँचाया है। अब मेरी जिंदगी का एक ही उद्देश्य है — तिरंगे को ओलंपिक मंच पर ऊँचाई पर देखना।" “हर युवा को मेरा संदेश है — हालात कितने भी मुश्किल हों, अगर इरादे मजबूत हैं और माँ का आशीर्वाद साथ हो, तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता।” — सुनील साहू!
संवाददाता - सुरेश कुमार पटेरिया
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