गारू में वन प्राणी सुरक्षा सप्ताह की धूम, कलश यात्रा से हुई शुरुआत,खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

लातेहार : गारू प्रखंड में शुक्रवार से वन प्राणी सुरक्षा सप्ताह का शुभारंभ बड़े उत्साह और धार्मिक आस्थाओं के साथ हुआ। सप्ताह की शुरुआत डोमाखाड़ कोयल नदी तट से कलश यात्रा निकालकर की गई। पारंपरिक वेश-भूषा में सजी महिलाओं ने 15 किलोमीटर की पदयात्रा कर गारू मुख्यालय पहुंचकर मां दुर्गा की प्रतिमा पर विधिवत पूजा-अर्चना की। इस दौरान पूरे क्षेत्र का माहौल धार्मिक, सांस्कृतिक और उत्सवमय हो उठा।

यात्रा का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और जलाभिषेक के साथ किया गया। निर्मल चंद पांडे ने कलश को जलाभिषेक कर यात्रा को रवाना किया। गारू पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने केशरा चंडी वनशक्ति मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष अभिषेक कर पूजा-अर्चना की। कलश यात्रा में शामिल महिलाओं और कांवड़ियों के उत्साह ने कार्यक्रम को और भव्य बना दिया।

इस अवसर पर गारू पूर्वी वन क्षेत्र पदाधिकारी उमेश कुमार दुबे, वन प्राणी सप्ताह दिवस कमेटी के मुख्य संरक्षक एवं लातेहार मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह, सांसद प्रतिनिधि मंगल उरांव, जोगेंद्र उरांव, मोहनलाल उरांव, शनेश्वर उरांव, रघुबर सिंह, अजीत कुमार सिंह, सकलदीप उरांव, संतोष कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में वनकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण मौजूद रहे।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

कलश यात्रा के दौरान पुलिस-प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। सुरक्षा बलों ने पूरे मार्ग में महिलाओं और श्रद्धालुओं को सुरक्षा कवच प्रदान किया। भीड़ के बावजूद कार्यक्रम शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण में संपन्न हुआ।

खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम

गारू मध्य विद्यालय के खेल मैदान में फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन हुआ, जिसमें गारू प्रखंड की कई टीमें शामिल हुईं। खिलाड़ियों के उमंग और दर्शकों के उत्साह से पूरा मैदान गूंज उठा। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जागरूकता पर जोर

आयोजन समिति ने बताया कि वन प्राणी सुरक्षा सप्ताह 3 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, खेलकूद प्रतियोगिताएं, और स्कूली बच्चों के बीच वन्यजीव संरक्षण पर निबंध लेखन शामिल हैं।

गारू रेंजर उमेश कुमार दुबे ने बताया कि इस बार सप्ताह का उद्देश्य केवल धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीणों को वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

रिपोर्टर : रामदयाल यादव

 

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