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इंजीनियर से सन्यासी तक, काफी रोचक है युवा आईआईटी बाबा की कहानी

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन चल रहा है और देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र आयोजन के साक्षी बनने आ रहे हैं और गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं...लोगों के साथ-साथ महाकुंभ मेले में कई ऐसे साधु-संत भी पहुंचे हैं, जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है...नागा साधु से लेकर कई ऐसे अखाड़े वाले बाबा इस महाकुंभ में आए हैं, जिनका आशीर्वाद पाकर श्रद्धालु धन्य हो रहे हैं...अभी तक आपने बवंडर बाबा, स्प्लेंडर बाबा, साइकिल वाले बाबा, चाभी वाले बाबा के बारे में सुना..अब हम आपको एक ऐसे बाबा के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी पढ़े लिखे, अंग्रेजी बोलने वाले हैं...जी हां ये कोई साधारण बाबा नहीं बल्कि इन्होंने IIT बॉम्बे से पढ़ाई की है...वहीं IIT बॉम्बे जहां लोगों का एडमिशन ही बड़ी मुश्किल से होता है...ऐसे में इन बाबा ने इतनी अच्छी जगह से पढ़ाई करने के बाद एक सन्यासी का रास्ता क्यों चुना..आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी...

दरअसल, महाकुंभ पहुंचे ये सन्यासी बाबा गोरख बाबा जिन्हें आईआईटी बाबा के नाम से भी जाना जाता है उनकी कहानी बहुत दिलचस्प है...हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई की, लेकिन उनका सफर यहां खत्म नहीं हुआ...उन्होंने अपनी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ लिया, जो हर किसी के बस की बात नहीं होती इंजीनियर से सन्यासी बनने का सफर उनका आसान नहीं था..लेकिन उन्होंने ज्ञान के लिए सब पीछे छोड़ बस आगे बढ़ते गए...अभय सिंह को शुरू से ही फोटोग्राफी का शौक था..उन्होंने सोचा कि इस जुनून को प्रोफेशन में बदलने के लिए पढ़ाई भी करनी चाहिए...इसके लिए उन्होंने मेहनत की, एक साल कोचिंग में पढ़ाई की, और आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया...यहां से उनकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू हुआ...गोरख बाबा से बातचीत के दौरान उनकी भाषा और समझदारी देखकर लोग हैरान रह गए और पूछा,आप इतने पढ़े लिखे लगते हैं..आपने कहां से पढ़ाई की?इस पर बाबा मुस्कुराए और बोले, मैंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है...यह सुनकर लोग कुछ पल के लिए चुप हो गए, फिर पूछा, आपने यह राह क्यों चुनी? बाबा ने जवाब दिया, ज्ञान के पीछे चलते जाना चाहिए..यही जीवन का असली उद्देश्य है..

हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह ने साबित कर दिया कि जिंदगी में रास्ते बदलने में कोई बुराई नहीं है, अगर वह रास्ता आपकी सच्ची खुशी और शांति की ओर ले जाए...उन्होंने आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित जगह से पढ़ाई की, फोटोग्राफी में अपनी रुचि को जिया, और फिर आत्मज्ञान की ओर बढ़े...गोरख बाबा की कहानी हमें सिखाती है कि करियर या पढ़ाई सिर्फ नौकरी पाने के लिए नहीं होती...यह आपको अपने जुनून को समझने और अपनी राह तय करने का मौका देती है...उनकी तरह, अगर हम अपने दिल की सुनें और खुद को जानने की कोशिश करें, तो शायद हमें भी अपनी मंजिल मिल जाए....

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