झूठे मुकदमे से मिली राहत- शशिकपूर राय को कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी

संत कबीर नगर : विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) संत कबीर नगर भूपेन्द्र राय की अदालत ने बहुचर्चित केस राज्य बनाम शशिकपूर राय में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अभियुक्त शशिकपूर राय और बिपुलर राय को भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 506, 427 तथा एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(x) के सभी आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया। यह मुकदमा वादी तुलसीराम द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अभियुक्तों ने हरिजन आबादी की भूमि पर अवैध कब्जा कर दीवार गिराई और गाली-गलौज व धमकी दी। परंतु न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्य, गवाहों के बयान व दस्तावेज़ी प्रमाणों से यह साबित हुआ कि दीवार गिराने की कार्रवाई प्रशासनिक आदेश पर हुई थी और मुकदमा व्यक्तिगत दुर्भावना से प्रेरित था। वादिनी की पत्नी ने अदालत में स्पष्ट रूप से बयान दिया कि यदि शशिकपूर राय उन्हें आवास दे दें, तो वह मुकदमा वापस ले लेंगी। इस बयान के बाद अदालत ने माना कि मुकदमे का उद्देश्य एससी/एसटी कानून का लाभ उठाकर निजी मकान पर कब्जा करना था, न कि किसी वास्तविक उत्पीड़न की शिकायत करना।

यह फैसला अधिवक्ता हरगोविंद राय व अधिवक्ता अखिलेश्वर राय की सटीक और सशक्त पैरवी के कारण संभव हो सका, जिन्होंने अदालत के समक्ष हर तर्क व सबूत पेश कर साबित किया कि अभियुक्तों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया था।अदालत ने जिलाधिकारी संत कबीर नगर को निर्देशित किया है कि यदि वादी को झूठे मुकदमे के आधार पर कोई सरकारी सहायता प्राप्त हुई हो, तो उसे नियम अनुसार वसूल कर सरकारी खजाने में जमा किया जाए और न्यायालय को सूचित किया जाए।

रिपोर्टर : मोहम्मद नईम 

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